इंटरटेंमेंट का ‘बिग बॉस’!
एक तरफ कोरोना की वजह से जान का जोखिम है, तो दूसरी तरफ रुका पड़ा है मनोरंजन का व्यवसाय। बंद सिनेमा हॉल और ठप शूटिंग के इस दौर में फिल्म इंडस्ट्री के सामने अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है। अनिश्चितता के इस माहौल में उम्मीद की रौशनी लेकर आया है ओटीटी प्लेटफॉर्म। यही वजह है कि इन दिनों ओटीटी प्लेटफॉर्म पर धड़ाधड़ फिल्में रिलीज हो रही हैं।
सबसे पहले अमेजन प्राइम पर ‘गुलाबो सिताबो’ रिलीज हुई, उसके बाद सुशांत सिंह राजपूत की ‘दिल बेचारा’, विद्या बालन की ‘शकुंतला देवी’ और प्रकाश झा की ‘परीक्षा’ समेत कई फिल्में रिलीज हुई। आने वाले दो महीने में ही 7 हिंदी और गैर-हिंदी फिल्में रिलीज होनेवाली हैं, जिनमें ‘लक्ष्मी बम’ और ‘सड़क 2’ के अलावा अजय देवगन की ‘भुज’, कृति सेनन की ‘मिमी’, विकी कौशल की ‘शिद्दत’ जैसी फिल्में शामिल हैं।
क्या है ओटीटी प्लेटफॉर्म?
ओटीटी(OTT) दरअसल ओवर-द-टॉप का शॉर्ट फॉर्म है। ओटीटी प्लेटफॉर्म की शुरुआत अमेरिका में हुई और धीरे-धीरे पूरी दुनिया में इसकी डिमांड बढ़ने लगी। इसका इस्तेमाल मुख्यतः वीडियो ऑन डिमांड प्लेटफॉर्म्स, ऑडियो स्ट्रीमिंग, ओटीटी डिवाइसेस, वॉइसआईपी कॉल और कम्युनिकेशन चैनल मैसेजिंग के लिए किया होता है।
जब इंटरनेट के जरिए टीवी और स्मार्ट फोन पर तमाम वीडियो कंटेट देखने की सुविधा मिली, और केबल बॉक्स से छुटकारा मिला, तो इस प्लेटफॉर्म को ओटीटी नाम दिया गया। भारत में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर टीवी सीरियल के साथ ही वेब सीरीज़, कॉमेडी शो, न्यूज और फिल्मों की स्ट्रीमिंग काफी लोकप्रिय हो रही है।
मोटे तौर पर ओटीटी प्लेटफॉर्म इन्टरनेट के जरिए वीडियो या अन्य मीडिया कंटेंट उपलब्ध कराता है। इनके लिए ओटीटी प्रोवाइडर एप होते हैं, जिनके जरिए इस कंटेंट को मैनेज किया जाता है। उदाहरण के लिए – नेटफ्लिक्स, अमेज़न प्राइम वीडियो, हुलु, हॉटस्टार, सोनीलिव, ऑल्टबालाजी, ज़ी5, वूट, एमएक्स प्लेयर आदि ।
कितना पॉपुलर है ओटीटी?
आंकड़ों के अनुसार देश में लॉकडाउन के दौरान अकेले नेटफ्लिक्स के 73% व्यूअर्स बढ़े हैं। वहीं डेली एक्टिव यूजर्स की संख्या में 102% की बढ़ोतरी हुई। अमेजन प्राइम वीडियो में 47%, हॉटस्टार में 30% और मैक्स प्लेयर पर 27% की बढ़ोतरी दर्ज की गई। लॉकडाउन के दौरान, लोगों ने रोजाना औसतन 80 मिनट का समय ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर दिया।
जी फाइव इंडिया के सीईओ तरुण कटियाल के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान एप के डाउनलोड में 41% तक का इजाफा हुआ है। रिसर्च एजेंसियों के मुताबिक 3 प्रमुख ओटीटी प्लेटफाॅर्म हॉटस्टार, नेटफ्लिक्स और अमेजन पर ही देश में 32 करोड़ सब्सक्राइबर्स हैं।
क्या है भविष्य?
नेटफ्लिक्स के अनुसार भारत में पिछले दो साल में उनके ओटीटी प्लेटफाॅर्म पर 14 वेब सीरीज और 18 फिल्में रिलीज की गई हैं। आगे उनकी तैयारी और 10 फिल्में और 8 वेब सीरीज भी लॉन्च करने की है। 2020 में नेटफ्लिक्स का भारत में 3000 करोड़ रुपए निवेश करने का प्लान है।
इस निवेश की वजह है इससे होने वाली कमाई। इस फील्ड के जानकारों के मुताबिकओटीटी प्लेटफॉर्म्स का 2019 में अकेले सब्सक्रिप्शन रेवेन्यू ही 1200 करोड़ रुपए था। इसके 2024 तक 516% बढ़कर 7400 करोड़ रुपए तक पहुंचने की संभावना है। ध्यान रहे, इसमें विज्ञापनों से होनेवाली कमाई शामिल नहीं है। वहीं बॉलीवुड के ट्रेड एनालिस्ट के अनुसार 2019 में बॉक्स ऑफिस की कुल कमाई 4400 करोड़ रुपए रही।
कैसे होती है कमाई?
ओटीटी प्लेटफॉर्म की सर्विसेज तीन प्रकार की होती हैं, जिनके माध्यम से यह कमाई करते हैं।
- ट्रांसक्शनल वीडियो ऑन डिमांड (टीवीओडी) – यदि कस्टमर अपने किसी फेवरेट टेलीविज़न शो या फिल्म को सिर्फ एक बार देखना चाहें, तो इसके जरिए वो इस शो को किराए पर देख सकते हैं या इसे डाउनलोड भी कर सकते हैं। जैसे – एप्पल आईट्यून्स।
- सब्सक्रिप्शन वीडियो ऑन डिमांड (एसवीओडी) – यदि कस्टमर नियमित तौर पर वीडियो स्ट्रीमिंग कंटेंट देखना चाहे, तो वो सब्सक्रिप्शन ले सकते हैं और महीने या सालाना के हिसाब से पेमेंट करते हैं। जैसे – नेटफ्लिक्स, अमेज़न प्राइम आदि।
- एडवरटाइजिंग वीडियो ऑन डिमांड (एवीओडी) – इसमें ग्राहक मुफ्त में कंटेंट तो देख सकते हैं, लेकिन इसके साथ ही उन्हें बीच-बीच में ADS भी देखने पड़ते हैं। जैसे – यूट्यूब।
फिल्में कैसे करती हैं कमाई?
ओटीटी प्लेटफॉर्मों पर फिल्मों की कमाई के दो तरीके हैं। पहला ये कि बनी-बनाई फिल्मों की रिलीज़ या स्ट्रीमिंग के लिए ओटीटी प्लेटफार्म्स फिल्मों के अधिकार खरीदते हैं, और इस तरह निर्माता को एकमुश्त रकम मिल जाती है। अगर फिल्म अलग-अलग भाषाओं में बनी हो, तो हर वर्जन के लिए उसके दर्शकों की संख्या के मुताबिक अलग डील होती है और निर्माता की कमाई बढ़ जाती है।
अगर कोई फिल्म ओटीटी पर रिलीज होती है तो ओटीटी राइट्स से ही उन्हें लगभग 80 फीसदी राजस्व मिलता है। वहीं सैटेलाइट राइट्स से भी मुनाफे का 20 फीसदी हिस्सा निकलता है।
दूसरा तरीका ये है कि कई ओटीटी प्लेटफॉर्म अपने लिए एक्सक्लूसिव कंटेंट का निर्माण करवाते हैं। ये फिल्म भी हो सकती है और वेब सीरीज भी। एचबीओ और डिज़्नी जैसे प्लेटफॉर्म खुद फिल्मों का निर्माण करवाते हैं। इस डील के तहत निर्माता को एक तयशुदा रकम मिलती है। इसमें फिल्म निर्माण की लागत और मुनाफा दोनों शामिल होते हैं।
फिल्म इंडस्ट्री के लिए कितना फायदेमंद?
देश भर में किसी फिल्म को रिलीज के लिए करीब 9600 स्क्रीन उपलब्ध हो पाती हैं। वहीं अगर ओटीटी प्लेटफॉर्म की बात करें तो अकेले नेटफ्लिक्स के भारत में 1.1 करोड़ सब्सक्राइबर्स हैं जबकि दुनिया भर में 190 से अधिक देशों में 18.1 करोड़ पेड यूजर्स हैं। अमेजन प्राइम भी 200 से अधिक देशों में पहुंच का दावा करता है। यानी ओटीटी प्लेटफार्म्स पर फिल्म डालने से निर्माताओं को सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि उसकी फिल्म बहुत बड़े दर्शक वर्ग तक पहुंच जाती है।
दूसरा फायदा है बॉक्स ऑफिस की अनिश्चितता से मुक्ति। कई बार बहुत अच्छी फिल्म भी फ्लॉप हो जाती है और निर्माता को इतना घाटा होता है कि अगली फिल्म बनाने की भी हिम्मत नहीं पड़ती। लेकिन ओटीटी प्लेटफॉर्म पर फिल्म को उसकी क्वालिटी के मुताबिक बेचा जा सकता है। उदाहरण के लिए गुलाबो सिताबो बाॅलीवुड की पहली ऐसी बड़े बजट की फिल्म है जो थियेटर में रिलीज न होकर सीधे ओटीटी प्लेटफाॅर्म पर रिलीज हुई। इस फिल्म का बजट 25-30 करोड़ का ही था, लेकिन अमेजन प्राइम ने इसके राइट्स 61 करोड़ में खरीदे। यानी दर्शकों तक पहुंचने से पहले ही लगभग दुगुने का फायदा!
तीसरा फायदा है फिल्म निर्माण में मदद। ज्यादातर ओटीटी प्लेटफॉर्म्स अपना कंटेंट खुद डेवलप कर रहे हैं। इनके पास पैसे की कमी नहीं होती और ये नये निर्देशकों, अच्छी कहानियों और नये कलाकारों को भी मौका देने से नहीं हिचकते। इन्हें बॉक्स ऑफिस की तरह अपने पैसे डूबने का डर नहीं होता, इसलिए एक्सपेरिंमेंटल सिनेमा को भी फंडिग मिल जाती है। इस प्लेटफॉर्म से नये और उभरते हुए खिलाड़ियों को अपनी क्षमता दिखाने का मौका मिला है।
एक और फायदा है। ये प्लेटफॉर्म फिल्म इंडस्ट्री के निपोटिज्म और परिवारवाद को खत्म कर सकता है। यहां 100 करोड़ वाले क्लब की नहीं चलती ….ना ही भाई गैंग के पैसों पर निर्भरता है। निर्माता के पास कास्टिंग से लेकर क्रिएटिव बदलाव की भी पूरी छूट होती है। यहां टैलेंट बिकता है, नाम नहीं। आयुष्मान खुराना, राजकुमार राव, अमित साद जैसे कई कलाकारों को इसका पूरा फायदा मिला है।
क्या बंद हो जाएंगे सिनेमाघर?
सिनेमाघर बंद तो नहीं होंगे, लेकिन कम जरुर हो जाएंगे। ठीक वैसे ही जैसे सीडी-डीवीडी और पायरेसी की वजह से फिल्म उद्योग को नुकसान तो हुआ, लेकिन सिनेमा हॉल बंद नहीं हुए। वैसे भी सिनेमा हॉल जो लार्जर देन लाइफ अनुभव देता है वो टीवी या मोबाइल की छोटी स्क्रीन पर संभव नहीं है।
कमाई के मामले में भी सिनेमा घरों का मुकाबला नहीं किया जा सकता। भारत में किसी फिल्म के रिलीज होने पर करीब 271 करोड़ टिकट बेचे जाते हैं। 2017 में आई बाहुबली-2 ने दुनिया भर में 1810 करोड़ रुपए की कमाई की है। वहीं, आमिर खान की फिल्म दंगल ने दुनिया भर में 716 करोड़ रुपए की कमाई की है। ओटीटी प्लेटफॉर्म पर इस तरह की कमाई संभव नहीं है।
कुल मिलाकर ओटीटी, सिनेमाघरों के विकल्प के तौर पर एक प्लेटफॉर्म ज़रूर है, लेकिन इसके अपने फायदे-नुकसान हैं। और, अब भी फिल्मकारों को ही नहीं, बल्कि दर्शकों को भी सिनेमाघरों के खुलने का इंतज़ार है।