एक डायन की खुदकुशी

वह स्त्री है…वह कुछ नहीं कर सकती
झारखंड के लोहरदगा के बाइमारा इटरा टोली गांव में एक डायन ने खुदकुशी कर ली। महीना भर पहले गांव के गुनी लोगों ने पता लगा लिया था कि 50 साल की बिगन महली ही इस गांव में लोगों के बीमार पड़ने और फसलों के नुकसान की कसूरवार थी। गांव वालों को बचाने के लिए उसके घर की घेराबंदी कर दी गई। गांव को ‘ठीक करने’ के एवज में उससे 20 हजार जुरमाना वसूला गया। इन पैसों से बकरे की बलि दी गई और सारे गांव वालों को भोज दिया गया। लेकिन पता चला कि 20 हजार से गांव ठीक हुआ नहीं, लिहाजा गांव को फिर से ‘ठीक करने’ के लिए उस पर दस हजार का जुरमाना लगाया गया। क्योंकि बिगन के पास अब कर्ज लेकर भी दस हजार देने की हैसियत नहीं थी, लिहाजा उसने अपने गुनाहों के प्रायश्चित के तौर पर जहर खा कर खुदकुशी कर ली। परिजनों ने गांव के दर्जन भर लोगों पर बिगन को खुदकुशी के लिए उकसाने का मामला दर्ज कराया है।

बाइमारा इटरा टोली गांव …आज के हिन्दुस्तान का वो कुरूप चेहरा है जो कभी चुनाव के मुद्दे में, राजनीति की चिंता में, समाज के चिंतन में शामिल नहीं रहा है। सबसे शिक्षित राज्य और बेस्ट हेल्थकेयर स्टेट केरल में डायन नहीं होती, सबसे संपन्न राज्य गोआ में डायन नहीं है, सबसे ज्यादा औद्योगिक राज्य तमिलनाडु में डायन नहीं है। डायन होती है तो सिर्फ बिहार और झारखंड जैसे सबसे गरीब, सबसे अशिक्षित, सबसे बदतरीन स्वास्थ्य सेवा वाले राज्यों में।

डायन बता कर महिलाओं की जघन्य हत्या करने के मामले में सबसे आगे है झारखंड। झारखंड पुलिस के मुताबिक 2011 से सितंबर 2019 तक राज्य में डायन करार दे कर 235 महिलाओं का कत्ल कर दिया गया। 2014-17 के बीच डायन बताकर महिला का उत्पीड़न करने के 2835 मामले पुलिस ने दर्ज किए।

विश्व गुरु भारत का एक चेहरा ये भी है
- 20 सितंबर 2018 बुंडू में भतीजे ने डायन होने के शक में कुल्हाड़ी से मार कर चाची की हत्या की
- 12 नवंबर 2018 चाईबासा के चक्रधरपुर प्रखंड के कुरुलिया गांव के रंजीत प्रधान ने डायन बताकर धारदार हथियार से सास की हत्या कर दी
- 23 दिसंबर 2018 बारूडीह तमाड़ के फलिंद्र लोहरा ने सास सुकरू देवी की टांगी से मारकर हत्या कर दी
- 20 फरवरी 2019 गुमला के पुग्गू खोपाटोली गांव में 65 साल की बंधैन उरांइन को उसी गांव के ललित उरांव ने पत्थर से कूचकर हत्या कर दी
- 21 फरवरी 2019 कोडरमा के मरकच्चो में दो महिलाओं को डायन बिसाही के आरोप में जिंदा जलाने की कोशिश
स्रोत :- https://newswing.com/jharkhand-1800-murders-name-witch-saraikela-chaibasa-top-figures/113802/

कैसे कोई महिला बनती है डायन ?
ज्यादातर मामलों में इसकी शुरूआत जमीन या संपत्ति पर कब्जा करने की नीयत से होती है। गांव में किसी की अचानक मौत होने पर विरोधी परिवार की महिला को डायन करार दे दिया जाता है। जिस परिवार की किसी माँ, बहन, या बेटी को डायन करार दिया जाता है, उसके परिजनों पर इसका गहरा मनोवैज्ञानिक असर पड़ता है। वे कुंठित और अपमानित महसूस करते है। कई मामलों में इलाज कराने की व्यवस्था नहीं होने पर लोग झाड़-फूंक कराते हैं। जब इससे बीमारी ठीक होने के बजाय बढ़ जाती है तब वही ओझा किसी बेसहारा महिला को बीमार के टीक नहीं होने की वजह करार दे देता है।
डायन के साथ क्या करता है हमारा समाज ?
सबसे छोटी सजा है जुरमाना और गांव निकाला। कई बार उम्र दराज और बेसहारा महिला की जमीन पर कब्जा करने की नीयत से उसे डायन बता कर सर मुंडवा कर, मुंह काला कर सारे गांव घुमाया जाता है। मल-मूत्र पिलाने और निर्वस्त्र कर सामूहिक दुष्कर्म के मामले भी सामने आए हैं।
कहां हो रहे हैं इस तरह के मामले ?
गैर सरकारी संस्था आशा के मुताबिक 2001 से 2012 तक झारखंड में डायन करार दे कर 1312 महिलाओं की हत्या हुई। इनमें सबसे ज्यादा राज्य की राजधानी रांची में 238, चाईबासा में 178, लोहरदगा में 138, गुमला में 141, पलामू में 61 हत्याएं हुईं।
सरायकेला के एक गांव भोलाडीह की तो पहचान ही डायनों के गांव के तौर पर बन गई है।
एक रपट के मुताबिक डायन करार दी गई महिलाओं में 35 % आदिवासी हैं, जबकि 34 %दलित हैं।
कठोर सजा का प्रावधान नहीं
डायन प्रतिषेध अधनियम 2001 के तहत किसी महिला को डायन बता कर उसे शारीरिक और मानसिक यातना देने पर महज 6 माह की जेल या दो हजार रुपये जुरमाने की सजा का प्रावधान है।
जैसे-जैसे पिछड़े इलाकों में शिक्षा और स्वास्थ्य की सेवाएं बेहतर होती जाएंगी, वैसे-वैसे डायन के नाम पर होने वाली मौतों में कमी भी आएगी। अंधविश्वास से जकड़े समाज को मसीहा नहीं स्कूल और अस्पताल चाहिए…बस।
घुमाई जाती है वह पूरे गांव
पहना कर ठुठकी बढ़नी
नचाई जाती है वह
भरी सभा में
पर कोई नहीं पूछता सवाल
क्योंकि इंसाफ के एक पलड़े में
हमेशा ही पत्थर हुआ करता है
ज्योति लकड़ा की कविता ‘टोनही’-( कवि मन जनी मन कविता संग्रह – पेज 195-96)