नहीं देना होगा ब्याज पर ब्याज!

बैंकों से लोन (loan) लेने वाले रिटेल कर्जदारों और छोटे व मध्यम उद्यमों को बड़ी राहत मिलनेवाली है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है एमएसएमई लोन, एजुकेशन लोन, होम लोन, कंज्यूमर लोन, पर्सनल लोन, ऑटो लोन आदि पर लागू चक्रवृद्धि ब्याज (compound interest) को माफ किया जाएगा। इसके अलावा क्रेडिट कार्ड बकाया पर भी इस ब्याज की वसूली नहीं की जाएगी।

किसको मिलेगी राहत?
केन्द्र सरकार के वादे के मुताबिक अब बैंक… लोन (loan) मोरेटोरियम पर लगने वाले चार्ज की वसूली नहीं करेंगे। केंद्र सरकार ने हलफनामे में कहा कि महामारी की स्थिति में इस अतिरिक्त खर्च का भार सरकार ही उठाएगी। मौजूदा राहत के अनुसार सरकार पर करीब 5000-6000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। हालांकि, ये राहत हर कर्जदार को नहीं मिली है। ये राहत सिर्फ उनके लिए है, जिन्होंने दो करोड़ रुपये या उससे कम का कर्ज लिया है। आपको बता दें कि अगर सरकार ये तय करती है कि वह हर कर्जदार को ये राहत देगी तो उस पर करीब 10 हजार से 15 हजार करोड़ रुपये तक का बोझ बढ़ेगा।
क्यों जरुरी था ये फैसला?
दरअसल कोरोना संकट की वजह से मार्च में जब लॉकडाउन लागू किया गया, तो कई छोटे उद्योग-धंधे बंद हो गये और हजारों लोग लोन की ईएमआई भी नहीं चुका सकने की स्थिति में थे। इसे देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकों और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों को निर्देश दिया कि ग्राहकों को EMI चुकाने के लिए 6 महीने की मोहलत दी जाए। बैंकों ने मोहलत तो दे दी, लेकिन मूल राशि के साथ ब्याज पर ब्याज लगाना जारी रखा। चूंकि ब्याज पर ब्याज की दर काफी अधिक थी, इसलिए ये अतिरिक्त शुल्क लोन लेने वाले ग्राहकों के लिए बड़ा बोझ बन रहा था।

बैंकों की क्या थी दलील?
इस विषय में बैंकर्स का कहना था कि इन श्रेणियों पर ब्याज पर ब्याज की माफी से उनकी लागत पर 5,000-6,000 करोड़ का असर पड़ेगा। और अगर यह स्कीम सभी श्रेणियों पर लागू होती, तो लागत पर 10,000-15,000 करोड़ रुपये का असर पड़ सकता था। सरकार और रिजर्व बैंक भी ब्याज माफी के खिलाफ थे। उनकी दलील थी कि यह अन्य हितधारकों और समय पर कर्ज चुकाने वाले कर्जदाताओं के खिलाफी नाइंसाफी होगी। साथ ही सभी श्रेणियों के कर्जदारों को माफी देने से बैंकिंग सिस्टम पर काफी अधिक दबाव पड़ेगा और बैंक इस तरह का दबाव झेल पाने में सक्षम नहीं है।
क्यों मान गई सरकार?
लेकिन पूर्व सीएजी राजीव महर्षि के अगुवाई वाली समिति के सुझावों के बाद सरकार ने अपना रुख पलट लिया। इससे पहले जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिल आरएस रेड्डी और एमआर शाह की पीठ ने भी सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा था। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि आप सिर्फ व्यापार में दिलचस्पी नहीं ले सकते…आपको लोगों की परेशानियों को भी देखना होगा। इन तमाम मुद्दों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने कर्जदारों को राहत देने का फैसला किया है। वैसे, सरकार ने बड़े कर्जदारों को माफी नहीं दी है।

ध्यान रखें कर्जदार
लोन (loan) मोराटोरियम की सुविधा का लाभ उठाने वाले लोगों को ये बात ध्यान में रखनी होगी कि राहत सिर्फ ब्याज पर लगने वाले ब्याज से मिली है, ना कि प्रिंसिपल अमाउंट पर लगने वाले ब्याज से। इसका मतलब हुआ कि अगर आपने 50 लाख रुपये का लोन (loan) 19 साल के लिए लिया हुआ है तो इस दौरान आप पर करीब 2 लाख रुपये का ब्याज पड़ेगा, जिसे आपको चुकाना ही होगा। अगर आप उसे इस अवधि में नहीं चुकाते हैं तो वह आपके प्रिंसिपल अमाउंट के साथ जुड़ जाएगा, जिसे आपको हर महीने अपनी EMI के साथ चुकाना होगा। इस तरह आपकी EMI बढ़ती जाएगी।
कब मिलेगी राहत?
केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे में कहा है कि कोरोना वायरस महामारी की स्थिति में, लोन (loan) पर ब्याज की छूट का भार सरकार उठाये.. यही एकमात्र समाधान है। अब इसके लिए जरुरी उपयुक्त अनुदान के लिए संसद से अनुमति मांगी जाएगी। संसद से मंजूरी मिलने के बाद ही लोगों को राहत मिलेगी।