टोक्यो की गवर्नर यूरिको कोइके के बारे में आपको क्यों जानना चाहिए?
बीते रविवार को, जापान के टोक्यो में गवर्नर के चुनाव में यूरिको कोइके फिर से जीत गई हैं। जापान के इतिहास में वो पहली महिला गवर्नर हैं, जिन्होंने दूसरी बार राज्य चुनाव में जीत दर्ज की है।
टोक्यो के गवर्नर चुनाव में एक भारतीय को क्यों दिलचस्पी होनी चाहिए?
टोक्यो की GDP 1.6 ट्रिलियन$ है, जो भारत की कुल GDP के आधे से ज्यादा है। इसे इस तरह समझें जैसे किसी पार्टी ने हमारे देश के आधे से ज्यादा राज्यों का चुनाव जीता हो। इस चुनाव में हमें इसलिए दिलचस्पी होनी चाहिए, क्योंकि ये कोरोना काल में हुआ चुनाव है और इस चुनाव में सबसे अहम मुद्दा यही था कि क्या टोक्यो कोरोना से सही तौर पर निबटने में कामयाब रहा है? इसे इस तरह समझें कि अक्टूबर के आखिर में होने वाले बिहार एसेंबली चुनाव में या इसके कुछ महीने बाद बंगाल में होने वाले एसेंबली चुनाव में अगर कोरोना से निबटने में राज्य सरकार की भूमिका अहम मुद्दा हो तो इसका संभावित नतीजे पर क्या असर होगा ?
कोरोना के लिए कोइके ने क्या किया ?
टोक्यो प्रांत के गवर्नर के तौर पर कोइके ने कोरोना को लेकर ऐसी रणनीति अपनाई जो जापान के समाज और कारोबार के लिए अनुकूल था। अप्रैल और मई के महीने में टोक्यो में इमर्जेंसी लगाई गई। ये एक तरह का लॉकडाउन था,लेकिन हमारे यहां की तरह पुलिस ने आम लोगों पर इस वास्ते डंडे नहीं बरसाए। कोइके ने लोगों से घरों में रहने की अपील की। उन्होंने बिजनेस हाउसेज को स्वेच्छा से उत्पादन में कटौती करने और कामगारों के लिए सोशल डिस्टेन्सिंग लागू करने का अनुरोध किया। कई बार जो बात सरकारी फरमान से नहीं बनती, वो अपील करने से बन जाती है। टोक्यो में यही हुआ। राज्य के मुखिया के तौर पर उन्होंने कोरोना से निबटने की पूरी जिम्मेदारी ली और इसे मेहनत से निभाने की कोशिश की। उन्होंने चीन, साउथ कोरिया और भारत की तरह प्रभावित इलाके को रेड जोन या कन्टेनमेंट जोन में नहीं बांटा। उन्होंने हर मामले को अलग मानते हुए, सिर्फ प्रभावित व्यक्ति को आइसोलेट करने या क्वारंटीन सेंटर में भेजने का निर्णय लिया। कान्टैक्ट ट्रेसिंग में भी सम्पर्क में आए हर व्यक्ति को आइसोलेट करने की जगह, उन्होने टेस्टिंग पर जोर दिया। इस तरह सिर्फ वही लोग आइसोलेट और क्वारंटीन किए गए जो खुद कोरोना संक्रमित थे। इस तरह जापान की इकोनॉमी या लोगों का काम-काज बहुत कम प्रभावित हुआ। उन्होंने वायरोलॉजिस्ट्स की मदद से कोरोना केसेज की तादाद का अनुमान तैयार करवाया, और इसके आधार पर युद्ध गति से आइसोलेशन और क्वारंटीन सेन्टर का निर्माण करवाया। हर रात टीवी पर वो प्रेस कान्फ्रेंस करती रहीं, जिनमें हर दिन रोज की टेस्टिंग के रिकार्ड से लेकर आने वाले वक्त में पीपीई किट, वेंटीलेटर की जरूरत का डाटा और सरकार की तैयारी का व्योरा वो पेश करती थीं। इस तरह बीते तीन महीने में कोइके कोरोना के खिलाफ टोक्यो की जंग का चेहरा बन गईं। जापान में लोग कोरोना से नहीं डरें, इस वास्ते प्रधानमंत्री शिंजो अबे ने ट्वीटर पर अपना एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें वो अपने घर में अपने पालतू कुत्ते के साथ चाय पीते नजर आ रहे हैं। क्योंकि प्रेस कान्फ्रेंस मे अबे बहुत खिंचे-खिंचे से और परेशान नजर आते थे, लिहाजा उनका ये वीडियो बहुत सारे लोगों को पसंद नहीं आया।
वहीं कोइके जो पहले टीवी पर न्यूज रीडर रह चुकी हैं, अपने रोजाना प्रेस कान्फ्रेंस में बहुत रिलैक्स्ड नजर आती थीं, उन पर लोगों को भरोसा हुआ। जापान के मशहूर यूट्यूब स्टार Hikakin के साथ उनकी बातचीत टोक्यो में खूब वायरल हुई।
“Seeing her face on television every day made me feel comfortable,” Yuki Matsuura, 70, said as she voted in the Setagaya ward of Tokyo. “I think that she is doing the best that she can in a very difficult situation.”
बयान का स्रोत : https://www.japantimes.co.jp/news/2020/07/06/national/politics-diplomacy/tokyo-governor-election-coronavirus/#.XwQA7G0zbIU
उनके एक विरोधी कैंडिडेट और पूर्व एक्टर Taro Yamamoto ने कोइके की तुलना एक बड़े पहाड़ से की।
“Mt. Yuriko was strong and very high”
स्रोत : – https://mainichi.jp/english/articles/20200705/p2g/00m/0na/077000c
इलेक्शन में क्या हुआ?
जापान का राज्य चुनाव दुनिया का सबसे महंगा चुनाव होता है। डिपॉजिट के तौर पर हर कैंडिडेट को 3 मिलियन येन यानी करीब 21 लाख रुपये जमा करने होते हैं।
स्रोत:- https://www.tokyoreview.net/2020/07/tokyos-2020-election-devolves-into-circus/
निर्दलीय कैंडिडेट कोइके ने 21 प्रत्याशियों को हराया। उन्हें चुनाव में 3,661,371 वोट मिले,जबकि दूसरे नंबर पर रहने वाले , Kenji Utsunomiya को इनके एक चौथाई से भी कम 844,151 वोट मिले। टोक्यो में गवर्नर के चुनाव इतिहास में ये दूसरी सबसे बड़ी जीत है।
जापान में काफी हद तक हमारे यहां की तरह ही चुनाव होता है। चुनावों में जम कर प्रतीकों का इस्तेमाल होता है। कोइके ने टोक्यो में सिगरेट पर बैन लगाने की एक कोशिश का नेतृत्व किया । 1923 के नरसंहार में मारे गए कोरियाइयों के सम्मान में होने वाले सालाना समारोह में भाग लेने से उन्होंने इनकार कर दिया। ऐसा करने वाली वो जापान की पहली गव्रर्नर हैं। उन्होंने कोरियाई छात्रों के स्कूल की लीज भी कैंसल कर दी। इससे टोक्यो में राष्ट्रवादी वोटरों का झुकाव उनकी तरफ हुआ। जापान के मीडिया को चुनाव के वक्त, स्कैंडल की तलाश होती है और वो किसी कैंडिडेट से मुश्किल सवाल पूछने से गुरेज करता है। कोइके शिंजो अबे की सरकार में देश की रक्षा मंत्री रह चुकी हैं। वो चुनावी जुमलों में माहिर हैं। 2016 के चुनाव में उन्होंने समाज से कुरीतियों को दूर करने के लिए ‘सेवन जीरो’ का नारा दिया था। अपनी जीत से उत्साहित होकर उन्होंने अपनी एक अलग पार्टी बनाई और शिंजो अबे की लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी को आम चुनाव में चुनौती दी। लेकिन जनता ने उनकी पार्टी को पूरी तरह से नकार दिया। इस साल मार्च तक गवर्नर चुनाव में उनके जीतने की ज्यादा संभावना नहीं थी, लेकिन कोरोना ने उन्हें टोक्यो का स्टार बना दिया।कोइके के नेतृत्व में टोक्यो ने कोरोना से निबटने की अच्छी तैयारी की है और अब उनकी टीम दुनिया में किसी देश या राज्य की सरकार से पहले कोरोना के संभावित सेकेंड वेव के लिए टेस्टिंग, अस्पताल में वेंटीलेटर, ऑक्सीमीटर, बिस्तर, ज्यादा डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की नियुक्ति की तैयारी में जुट गई है।
कोइके इस जीत से उत्साहित हैं। टोक्यो में ओलंपिक के बाद संभावना है कि वो शिंजो अबे के खिलाफ जापान के अगले पीएम के लिए दावेदारी पेश करेंगी।