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हिंद महासागर से निकाला जाएगा खनिजों का खजाना, सरकार का मिशन शुरू

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हिंद महासागर से निकाला जाएगा खनिजों का खजाना, सरकार का मिशन शुरू

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Indian Ocean

लोहा, मैगनीज, निकिल, कोबाल्ट के लिए जल्द ही हिंद महासागर में खनन होगा। इसके लिए सरकार ने प्रौद्योगिकी विकास का कार्य शुरू कर दिया है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने डीप ओशन मिशन के तहत उन सभी विश्वविद्यालय व संस्थाओं से जुड़ने के लिए खुला आमंत्रण दिया है जो लंबे समय से पृथ्वी विज्ञान को लेकर कार्य कर रहे हैं।

मंत्रालय के अनुसार, मध्य हिंद महासागर में पॉलिमेटेलिक नोड्यूल्स (पॉलिमेटेलिक नोड्यूल्स समुद्र तल में मौजूद लोहे, मैगनीज, निकिल और कोबाल्ट युक्त चट्टानें) के खनन के लिए एक एकीकृत खनन प्रणाली विकसित की जा रही है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि दुनिया के करीब 70 फीसदी हिस्से को कवर करने वाले महासागर हमारे जीवन का महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं। इनकी गहराई में 95 फीसदी क्षेत्र अब तक ठीक से खोजा नहीं जा सका है। भारत की बात करें तो तीन दिशाओं में महासागरों से घिरे अपने देश की करीब एक तिहाई आबादी तटीय क्षेत्रों में रहती है। मत्स्य पालन, जलीय कृषि, पर्यटन, आजीविका व समुद्री अर्थव्यवस्था जैसे क्षेत्र महासागर से जुड़े हैं।

मंत्रालय के अनुसार, पृथ्वी विज्ञान के क्षेत्र में कार्य करने वाले विश्वविद्यालय, संस्था या फिर स्वतंत्र शोधार्थी इसका हिस्सा बन सकते हैं। मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर इसकी जानकारी दी गई है। दिशा-निर्देशों के तहत, तय फॉर्मेट में प्रस्ताव भेजना जरूरी है। इस साल सभी प्रस्तावों पर विचार करने के बाद राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय टीमें तैयार कर साल 2023 से काम शुरू होगा।

ऐसे मिशन के लिए आवश्यक तकनीक और विशेषज्ञता वर्तमान में केवल पांच देश अमेरिका, रूस, फ्रांस, जापान और चीन के पास है। भारत ऐसी तकनीक वाला छठा देश होगा। डीप ओशन मिशन के तहत मानवयुक्त सबमर्सिबल पनडुब्बी की खोज चल रही है। समुद्र में 6,000 मीटर की गहराई तक ले जाने के लिए वैज्ञानिक सेंसर और उपकरणों के साथ इस पनडुब्बी की खोज राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान और इसरो मिलकर कर रहे हैं। यह खोज काफी तेजी से आगे बढ़ रही है।

Treasury of minerals will be extracted from the Indian Ocean, government’s mission begins

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