भारत में आने वाली है कैंसर जैसी बीमारियों की सुनामी, आई डराने वाली रिपोर्ट

विकसित होने के लिए तेज रफ्तार पकड़ रहे भारत को लेकर ऐसा दावा किया गया है, जो सरकार के साथ-साथ आम लोगों को भी चिंता में डाल दे. एक अमेरिकी ऑन्कोलॉजिस्ट डॉक्टर जेम अब्राहम का दावा है कि आने वाले समय में भारत में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की सुनामी आएगी. ऑन्कोलॉजिस्ट ने इसके पीछे ग्लोबलाइजेशन, बढ़ती अर्थव्यवस्था, बूढ़ी हो रही जनसंख्या और लाइफस्टाइल में बदलाव जैसे कुछ बड़े कारण बताए हैं.
डॉक्टर अब्राहम का कहना है कि जिस तरह से गंभीर बीमारियां भारत की ओर बढ़ रही हैं, इसे रोकने के लिए यह बेहद जरूरी है कि मेडिकल तकनीक को बढ़ावा दिया जाए. अमेरिका के ओहियो में क्लीवलैंड क्लिनिक में डिपार्टमेंट ऑफ हेमेटोलॉजी एंड मेडिकल ऑन्कोलॉजी के प्रमुख डॉक्टर जेम अब्राहम ने इस सदी में कैंसर केयर को री शेप करने के लिए 6 जरूरी ट्रेंड बताए. इनमें शुरुआती तीन ट्रेंडों में कैंसर रोकथाम के लिए वैक्सीन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डाटा डिजिटल तकनीक को बढ़ावा और लिक्विड बायोप्सी शामिल है.
वहीं अन्य तीन ट्रेंडों में जीनोमिक प्रोफाइलिंग, जीन एडिटिंग टेक्नोलॉजी का विकास और इम्यूनोथेरेपी और कार टी सेल थेरेपी की नेक्स्ट जनरेशन शामिल है. डॉक्टर अब्राहम ने कहा कि भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती है कैंसर जैसी बीमारी से बचने के लिए लोगों को टेक्नोलॉजी तक पहुंचाना और उसे अफोर्डेबल बनाना. ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी के अनुसार, साल 2040 तक विश्व में कैंसर का हाहाकार हो जाएगा. 2040 तक विश्व में कैंसर मरीजों की संख्या साल 2020 के मुकाबले 47 फीसदी बढ़कर दो करोड़ अस्सी लाख प्रति वर्ष तक पहुंच जाएगी. साल 2020 में कैंसर के करीब एक करोड़ 80 लाख मामले सामने आए थे और करीब एक करोड़ लोगों की विश्व में इसी बीमारी की चपेट में आकर मौत हो गई थी.
महिलाओं को होने वाला ब्रेस्ट कैंसर मौजूदा समय में फेफड़ों के कैंसर को पीछे छोड़कर सबसे आगे आ गया है. हालांकि, अभी तक सबसे ज्यादा मौतें फेफड़ों के कैंसर की वजह से ही हो रही हैं. डॉक्टर अब्राहम का मानना है कि सफल कैंसर वैक्सीन इस बीमारी के अलग-अलग रूपों को मात देने में काफी मददगार साबित होगी. हालांकि, पिछले कुछ सालों में अलग-अलग कैंसर के लिए वैक्सीन तो बनाई गई हैं, लेकिन वह सभी अभी ट्रायल पर हैं, लेकिन शुरुआती नतीजे काफी सकरात्मक हैं. उन्होंने बताया कि वर्तमान में क्लीवलेंड क्लिनिक की टीम भी ब्रेस्ट कैंसर की एक वैक्सीन का ट्रायल कर रही है.
वहीं डॉक्टर अब्राहम ने आगे कहा कि तकनीक का इस्तेमाल इंसान से भी ज्यादा बेहतर है. उन्होंने बताया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए बायोप्सी के दौरान सामान्य और असामान्य वेरिएशंस का पता ज्यादा अच्छे से लगाया जा सकता है, जबकि इंसान यह काम अपनी आंखों से नहीं कर सकता है. समय के साथ जेनेटिक प्रोफाइलिंग या टेस्टिंग के जरिए ब्रेस्ट कैंसर और कोलन कैंसर को शुरुआती स्टेज पर पहचाना जा सकता है. डॉक्टर अब्राहम कहते हैं कि आने वाले समय में जिनोमिक टेस्टिंग का इस्तेमाल बढ़ जाएगा.
डॉक्टर अब्राहम ने बताया कि इस तकनीक का इस्तेमाल ब्लड प्रेशर या कॉलेस्ट्रोल को मॉनिटर करने और खासतौर पर कैंसर सेल्स को ढूंढकर मारने के लिए इलाज ढूंढने के लिए किया जाएगा. इस तकनीक के जरिए कैंसर के पूरी तरह बनने से पहले ही डॉक्टर उसका इलाज कर पाएंगे. डॉक्टर अब्राहम ने कहा कि कैंसर के लिए जोरदार ट्रीटमेंट की जरूरत है. उन्होंने कहा कि उभरती लिक्विड बायोप्सी तकनीक के जरिए सिर्फ खून की बूंद से ही कैंसर की पहचान की जा सकेगी. समय से पहचान होगी तो इलाज भी ठीक होगा. वर्तमान में अधिकतर मामलों में जब पता चलता है, तब तक काफी देर हो चुकी होती है.
वहीं डॉक्टर अब्राहम ने कहा कि, जब हम कैंसर से बचाव और इसके इलाज के लिए तकनीक विकसित करेंगे तो हमारा पूरा फोकस कैंसर की रोकथाम और उससे बचाव पर होगा. कैंसर से बचना है तो तंबाकू, शराब को पूरी तरह छोड़ना होगा. डाइट और इन्फेक्शंस का ध्यान रखना होगा. वर्तमान में कैंसर होने के यह सब सबसे सामान्य कारण हैं.
Tsunami of diseases like cancer is coming in India, scary report came