ट्रेन पर ट्विटर वार!!!
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प्रवासी मजदूरों की वापसी को लेकर केन्द्र और गैर-बीजेपी शासित राज्यों में जुबानी जंग तेज हो गई है। ममता बनर्जी से विवाद चल ही रहा था कि रेलमंत्री पीयूष गोयल ने नया मोर्चा खोल दिया। अपने ट्वीट में रेलमंत्री ने आरोप लगाया कि कुछ राज्य जिसमें राजस्थान, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और झारखंड शामिल हैं, प्रवासी मजदूरों को लाने के लिए ट्रेनों की अनुमति नहीं दे रहे हैं।
इस पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए ट्वीट किया कि रेल मंत्री ने गलत जानकारी के आधार पर ये बात कही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह प्रवासी श्रमिकों को ट्रेन और विमान से वापसी के लिए केंद्र सरकार विशेष कर रेल मंत्री और गृह मंत्री से सीधा मौखिक और पत्राचार के माध्यम से लगातार संवाद करते आ रहे हैं। यही कारण है कि देश में वैधानिक रूप से लॉकडाउन के दौरान पहली ट्रेन तेलंगाना से हटिया पहुंची। उन्होंने कहा कि अब तक झारखंड से विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासी श्रमिकों की वापसी के लिए 110 ट्रेनों को राज्य सरकार ने एनओसी दे दी है। उन्होंने कहा कि लगभग 50 ट्रेनें झारखंड पहुंच चुकी हैं। इन ट्रेनों से 60 हजार से अधिक मजदूर वापस लौटे हैं।
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल को बताया कि रेल मंत्रालय द्वारा आप तक सही जानकारी नहीं पहुँचायी गयी। अब पुनः आपसे झारखण्ड के लिए अधिक से अधिक ट्रेन चलाने का अनुरोध करता हूं। अभी प्रतिदिन 4 से 6 ट्रेनें झारखण्ड आ रही हैं जो राज्य के लगभग 7 लाख श्रमिकों को वापस लाने हेतु पर्याप्त नहीं हैं। आशा है कि आप इस मुद्दे पर ध्यान देते हुए राज्यवासियों की सहायता करेंगे।
कोरोना जैसे महासंकट के समय भी राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे पर निशाना साधने से बाज नहीं आ रहीं। खास बात ये है कि सभी पार्टियां मजदूरों के लिए ज्यादा से ज्यादा काम करने का वादा कर रही हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई समन्वय नहीं दिख रहा। बड़ी-बड़ी घोषणाओं और वादों में प्रवाजी मजदूरों की जिन्दगी उलझकर रह गई है।