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हरियाणा में BJP का नायाब प्रयोग! खट्टर की जगह नायब सैनी को चुनने की जानें वजह

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हरियाणा में BJP का नायाब प्रयोग! खट्टर की जगह नायब सैनी को चुनने की जानें वजह

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हरियाणा दिल्ली के करीब है, इसलिए वहां पत्ता भी हिलता है तो दिल्ली व्याकुल होने लगती है. मंगलवार को सुबह अचानक हरियाणा में जो हुआ उसकी धमक से दिल्ली भी दहली. पिछले साढ़े नौ साल से हरियाणा में राज कर रहे मनोहर लाल खट्टर की कुर्सी अचानक 12 मार्च की सुबह उनसे ले ली गई. उन्हें मंगलवार की सुबह ही इस्तीफा देने को कहा गया. आलाकमान की तरफ से यह निर्देश इस ठंडे अंदाज में दिया गया कि खट्टर साहब शहीद हसन खां मेवाती की स्मृति में हुए समारोह में बोलते वक्त अचकचा गए. उन्हें समझ नहीं आया कि वे जय श्रीराम का उद्घोष करें या कि इंशाल्लाह कहें. उनकी यह हड़बड़ाहट दिल्ली की सुर्खियों में आ गई. लेकिन भाजपा को चुनाव जीतने हैं और वह समझ चुकी है कि अब खट्टर को और ढोना 400 पार के उसके आंकड़े में बाधक बनेगा.

हरियाणा में विधानसभा चुनाव को अब सिर्फ छह महीने बचे हैं. इसी बीच वहां यह नायाब प्रयोग किया गया. मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप दी गई. यह राजनीतिकों को चौकाने वाली बात लगी. सभी को एक झटका-सा लगा, क्योंकि इस घटना के एक दिन पहले खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के साथ अपनी आत्मीयता जाहिर कर रहे थे. उनसे अपनी नजदीकी बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था, कि मनोहर लाल खट्टर उन्हें मोटर साइकिल पर बैठा कर घुमाते थे. फिर एक दिन में ऐसा क्या हो गया! लेकिन एक और खास बात काबिले-गौर है, कि खट्टर को हटाए जाने का फैसला आते ही कैथल, कुरुक्षेत्र, फतेहाबाद, हिसार, जींद के गांवों में पटाखे फोड़े गए. इस खुशी की वजह एक ऐसे शख्स को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाया जाना था, जिसने अपने बड़बोलेपन से सबको नाराज कर लिया था.

इसमें कोई शक नहीं कि हुड्डा सरकार में बेपटरी हरियाणा को मनोहर लाल खट्टर पटरी पर लाए. गांवों को 18-18 घंटे बिजली, वृद्धावस्था पेंशन को बढ़ा कर 3000 रुपये प्रतिमाह करने से लेकर विधवा पेंशन को भी इसी तरह बढ़ाया गया. बेरोजगारी भत्ता तथा तबादलों को ऑनलाइन करना एवं राज्य की नौकरियों में पारदर्शिता लाना खट्टर साहब की उपलब्धियों में शामिल है. उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि जल जीवन मिशन है. परंतु उनका बड़बोलापन और राज्य में अफसरों की मनमानी के चलते वे अपनी लोकप्रियता खो बैठे थे. हरियाणा में चली आ रही रवायत को तोड़ कर 2015 में भाजपा ने एक गैर जाट को मुख्यमंत्री बना दिया. मनोहर लाल खट्टर पंजाबी समुदाय से आते हैं, जो वहाँ शरणार्थी कहे जाते हैं. पंजाबी समुदाय 1947 में बंटवारे के बाद पाकिस्तान से यहां आ कर बसे थे. पंजाबियों ने हरियाणा के शहरी क्षेत्रों में व्यापार में खूब नाम कमाया किंतु राजनीति में ये शून्य थे.

राजनीति में पंजाबी समुदाय की कम रुचि के कारण ही मनोहर लाल खट्टर राजनीति में शिखर पद पर रहते हुए भी आम जनता के साथ वे कोई आत्मीय रिश्ता नहीं बना सके. महिलाओं और किसानों के साथ उनका सलूक कभी अच्छा नहीं समझा गया. उनके गृह मंत्री भी इसी पंजाबी समुदाय से थे. वे भी अक्सर अपने विवादित बयानों से चर्चा में रहते थे. इस वजह से भाजपा आलाकमान को यही उचित लगा होगा कि हरियाणा में मुख्यमंत्री को बदला जाए. भाजपा ने वहां पर फौरन एक अति पिछड़े समुदाय सैनी बिरादरी के कुरुक्षेत्र से सांसद तथा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी. मुख्यमंत्री ने शपथ ग्रहण के साथ जिन पांच विधायकों को भी मंत्री पद की शपथ दिलवाई, वे खट्टर सरकार में भी मंत्री थे.

भाजपा ने हरियाणा में रणजीत सिंह चौटाला को भी मंत्री पद की शपथ दिलाई है, जो कि भाजपा के विधायक नहीं है. वे निर्दलीय हैं. रणजीत सिंह उसी चौटाला परिवार से हैं, जिसके दुष्यंत चौटाला थे. दुष्यंत सिंह चौटाला को सरकार से ही नहीं NDA गठबंधन से भी बाहर कर दिया गया है. वर्ष 2020 में हरियाणा की 90 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को 41 सीटों पर जीत मिली थी. उस समय दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP) को दस सीटें प्राप्त हुई थीं. दोनों ने मिलकर सरकार बनाई. दुष्यंत चौटाला को डिप्टी चीफ मिनिस्टर का पद दिया गया था, लेकिन पिछले 24 घंटे में जो उठापटक हुई, उसमें दुष्यंत चौटाला को राज्य में भाजपा गठबंधन से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. उन्हें खारिज नहीं किया गया बल्कि खट्टर सरकार को इस्तीफा देने को कहा गया और नई सरकार के गठन की तैयारी की गई.

भाजपा को अभी हरियाणा की दस लोकसभा सीटें दिखाई पड़ रही हैं. इन्हें जीतने के लिए मनोहर लाल खट्टर जैसे अलोकप्रिय मुख्यमंत्री को हटाना उसकी मजबूरी थी. दूसरे जिस तरह राहुल गांधी पिछड़ों की बात कर रहे हैं, इसलिए उनके तरीके से ही जवाब देना भाजपा की मजबूरी है. खट्टर जिस पंजाबी समुदाय से आते हैं, वह सवर्ण बिरादरी का है. वे खत्री पंजाबी हैं. अतः उन्हें हटा कर भाजपा ने एक तीर से दो निशाने किए.

Asit Mandal

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