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मास्क के पीछे क्या है?

कोरोना जरुर पढ़ें राज्य

मास्क के पीछे क्या है?

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अब झारखंड में मास्क नहीं पहनने पर एक लाख का जुरमाना और दो साल की सजा हो सकती है।

ये नियम सिमडेगा में भी लागू होगा, जहां तीन साल पहले 11 साल की संतोषी भात-भात कहते भूख से मर गई थी।

ये नियम लोहरदगा में भी लागू होगा, जहां बाइमारा इटरा टोली गांव में डायन करार दिए जाने पर 20 हजार जुरमाना देने के बाद बिगन महली ने खुदकुशी कर ली थी।

ये आदेश झारखंड की पुलिस लागू करवाएगी, जैसे सरायकेला की…जहां तबरेज अंसारी को भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला था

surrealphoto by bobby becker

सरकार अगर विषुवत रेखा है तो जनता अक्षांश …ये दो रेखाएं करीब नजर तो आती हैं, लेकिन चलती हमेशा समानांतर हैं, ये आपस मे कभी नहीं मिलती, जैसे जनता की उम्मीदें और सरकार की योजनाएं।

एक ओर बेबस गरीब जनता है, दूसरी ओर निजी अस्पताल, जांच कंपनियां, दवा कंपनियां, पीपीई, सैनिटाइजर के सरकारी ठेके, पुलिस की लाठियां, विरोधियों पर सरकार की फब्तियां ..  …राजनीति 2020 में आपका स्वागत है।   

झारखंड सरकार का ये फैसला ऐसे वक्त आया है जबकि लांसेट की रिपोर्ट में कहा गया है कि मध्यप्रदेश, बिहार और तेलंगाना के बाद कोरोना संक्रमण के हालात देश में सबसे ज्यादा बेकाबू झारखंड में हो सकते हैं। ये आशंका इसलिए है, क्योंकि झारखंड की 46% आबादी गरीबी रेखा के नीचे है। देश के सबसे गरीब राज्यों में से एक झारखंड में बहुत कम लोगों के पास अपना घर, पारिवारिक शौचालय और साफ पानी की व्यवस्था है। 30 लाख से ज्यादा गरीब परिवार हर रोज ये समझने की कोशिश कर रहे हैं कि खाली पेट सोशल डिस्टेन्सिंग के साथ कैसे जीया जाता है?

झारखंड में कोरोना की स्थिति

  1. हाईकोर्ट बंद – बुधवार को सात नए मामलों के साथ अब तक यहां कोरोना संक्रमण के 12 मामले।

राजधानी रांची में अब तक 79 हेल्थ वर्कर संक्रमित. इनमें 31 राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स् के डाक्टर हैं।

झारखंड में कोरोना का पहला मामला 31 मार्च को आया था, जब एक मलेशियाई महिला कोरोना से संक्रमित पाई गई थी।

झारखंड में कोरोना के मामले

  • 1-7 जुलाई   566
  • 8-14 जुलाई  1190
  • 16 से 22 जुलाई 2173

कुल जांच में संक्रमितों के औसत के मामले में झारखंड यूपी(3.9) और आंध्रप्रदेश (4) से आगे निकल चुका है। 22 जुलाई को इसकी पॉजिटिविटी रेट 9.06 थी जो गुजरात (9) के करीब है।

झारखंड में पाजिटिविटी रेट

30 जून  1.73

22 जुलाई   5.38

मास्क के पीछे क्या है?

मतलब ये कि सरकार के लिए जो मुमकिन है, वो कर रही है, अब आगे ये लड़ाई जनता को लड़नी है। क्योंकि सिर्फ समझाने से बात जनता को समझ नहीं आती, इसलिए जुरमाना और सजा का देश में सबसे कठोर प्रावधान सरकार को मजबूरी में करना पड़ा है। 

IDSP यानी  integrated disease surveillance program के स्टेट नोडल अफसर राकेश दयाल का कहना है कि लोग नियमों का पालन नहीं कर रहे, कई लोग मास्क नहीं पहन रहे। ज्यादातर लोगों ने Aarogya Setu App डाउनलोड नहीं किया है।

ये सरकार वाली सोच है जहां किसी मुसीबत से निबटने का सारा अधिकार सरकार के पास होता है, और  जिम्मेदारी सारी जनता की ।

जब WHO ने 12 मार्च को कोरोना को महामारी घोषित किया था,तब उसने ये नहीं कहा था कि कोरोना से लड़ना है तो जनता पर भारी जुरमाना कीजिए, जेल भेजिए। WHO ने कहा था कि टेस्टिंग बढ़ाइए, अस्थायी अस्पताल बनवाइए, क्वारंटीन सेंटर बनाइए, आइसोलेशन सेंटर बनाइए।  हमारी केंद्र सरकार ने ये सब करने के बजाय , लोगों को ताली बजाने, थाली बजाने, दीया जलाने का मशविरा दिया। तब देश में कुल मामले 500 थे, कुल मौत 60 के करीब,अब अमेरिका और ब्राजील केबाद कुल संक्रमण और मौत के मामले में भारत तीसरे नंबर पर है।

ऐसा नहीं कि हमारी सरकार कुछ नहीं कर रही, मध्यप्रदेश में शिवराज आए, राजस्थान में भी महारानी की वापसी करीब है, राम मंदिर बनने ही वाला है। इकोनॉमी का क्या है, मौसमी बुखार है, ठीक हो जाएगा।

राजनीति कहती है तू मूर्ख है, मूर्ख ही रहेगा, गरीबी कहती है…सिर्फ मैं ही तुम्हारा साथ आखिर तक दूंगी ..और जनता …वो क्या कहती है? ….वो कहती है वक्त बदलेगा तो तुम भी बदलोगे …सिर्फ मैं ही हूं यहां, जो हमेशा रहेगा।

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