अर्ज किया है….
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राजा बोला रात है
राणी बोली रात है
मंत्री बोला रात है
संत्री बोला रात है
यह सुबह सुबह की बात है
वैसे तो शेर का शिकार होता है, लेकिन राजनीति में शेर से शिकार किया जाता है।
बीते रविवार को गृह मंत्री अमित शाह का भारत चीन सीमा विवाद को लेकर बयान आया था।
पूरी दुनिया ये मानती है कि अमेरिका और इजराइल के बाद अगर कोई देश है जो अपनी सीमाओं की रक्षा करने में समर्थ है तो वो भारत है।
राहुल गांधी ने गृह मंत्री के इस बयान को अच्छा ख्याल करार दिया।
इशारा ये था कि ख्याल कितना भी अच्छा हो, वो ख्याल ही होता है हकीकत नहीं।
बात सरहद के सच की हो रही थी, इसलिए गृहमंत्री की रक्षा में रक्षा मंत्री आए। ट्वीट के बदले ट्वीट, शेर का जवाब शेर
रक्षा मंत्री को लगता है कि सरहद पर सवाल पूछना किसी तरह देशभक्ति के दायरे में नहीं आता। इसलिए उन्होंने कहा –
कांग्रेस के कई नेता सवाल पूछ रहे हैं कि भारत चीन सीमा पर क्या हो रहा है?
सवाल कांग्रेस का था लेकिन जवाब उन्होंने कांग्रेस को नहीं अवाम को दिया
मैं देश की जनता को आश्वस्त करना चाहूंगा कि संसद में इस बारे में विस्तार से जानकारी दूंगा
जाहिर है राजनाथ चाहते तो जवाब दे सकते थे, लेकिन संसद में जानकारी देने के नाम पर उन्होंने राज को राज ही रहने दिया
औरों के ख़यालात की लेते हैं तलाशी
और अपने गरेबान में झाँका नहीं जाता
~मुज़फ़्फ़र वारसी
अब अर्ज किया है वाले अंदाज से निकल कर राहुल ने, सीधे सवाल का गोला दागा
ये एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब देना सरकार के लिए रोज पहले से ज्यादा मुश्किल होता जा रहा है। अंदेशा ये है कि जैसे-जैसे इस मामले में परत दर परत खुलेगी, केंद्र की बीजेपी सरकार के लिए कई मुश्किल सवाल पेश आएँगे। सवाल जैसे … क्या 1999 में जिस तरह कारगिल में पाकिस्तानी सेना भारतीय सरहद में घुस आई थी उसी तरह इस बार चीन की सेना लद्दाख में घुस आई है। तब भी वक्त मई से जुलाई का था। इस बार भी सरहद में सेंधमारी मई के महीने में हुई है। तब भी बीजेपी का शासन था, अब भी केंद्र में बीजेपी की ही सरकार है। अब तक देशभक्ति के पैमाने पर बीजेपी दूसरी पार्टियों को तौला करती थी, अब बारी खुद की है
बहुत था ख़ौफ़ जिस का फिर वही क़िस्सा निकल आया
बशर नवाज़
मिरे दुख से किसी आवाज़ का रिश्ता निकल आया