पारदर्शी कराधान, ईमानदार का सम्मान!

13 अगस्त से देश में फेसलेस असेसमेंट और टैक्सपेयर्स चार्टर लागू हो गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले बजट में टैक्सपेयर्स चार्टर लाने की बात कही थी और गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे लागू करने का ऐलान किया। लेकिन ये है क्या? और इससे आम जनता को क्या फायदा है?
दरअसल ये ईमानदारी से टैक्स चुकाने वालों को सहूलियत देनेवाला एक नया प्लेटफॉर्म है। इसका नाम भी ऐसा ही रखा गया है – ‘पारदर्शी कराधान-ईमानदार का सम्मान’ (ट्रांसपेरेंट टैक्सेशन-ऑनरिंग द ऑनेस्ट)। इसके जरिये टैक्स अनुपालन को आसान बनाया गया है। इसके तहत 3 सुविधाएं शुरू की गई हैं – इनमें फेसलेस असेसमेंट , फेसलेस अपील और टैक्सपेयर्स चार्टर। इनमें से फेसलेस असेसमेंट और टैक्सपेयर्स चार्टर 13 अगस्त से लागू हो चुका है, जबकि फेसलेस अपील की सुविधा 25 सितंबर से लागू होगी।
फेसलेस असेसमेंट का मतलब ये है कि अब करदाताओं और टैक्स अधिकारियों को एक दूसरे से मिलने या पहचान रखने की जरूरत नहीं होगी। इससे भ्रष्टाचार की गुंजाइश खत्म होगी और अधिकारियों के टैक्स मामलों में जरूरत से अधिक दखल पर भी लगाम लगेगी। इसी तरह, कर संबंधी मामलों की अपील भी फेसलेस होगी।

क्या है टैक्सपेयर्स चार्टर?
मोटे तौर पर इसका मकसद टैक्सपेयर्स की परेशानी कम करना और वसूली करनेवाले अधिकारियों की जवाबदेही तय करना होता है। इस समय भारत के अलावा दुनिया के सिर्फ तीन देशों, अमेरिका, कनाडा और आस्ट्रेलिया में ही यह लागू है। पीएम मोदी ने इस चार्टर को देश के विकास यात्रा में एक बड़ा कदम कहा है। इनके मुताबिक यह टैक्सपेयर के अधिकार और कर्तव्यों को संतुलित करने का कदम है।
हमारे देश में लागू इस चार्टर के कुछ अहम उद्देश्य तय किये गये हैं, जो नीचे दिए गये हैं :-
- इनकम टैक्स विभाग करदाताओं के साथ उचित और स्नेह पूर्वक व्यवहार करेगा।
- विभाग सभी करदाताओं की ईमानदारी पर विश्वास करेगी और उन्हें श़क की निगाह से नहीं देखेगी।
- टैक्स विभाग करदाताओं को उचित एवं पारदर्शी अपील और समीक्षा की सुविधा मुहैया कराएगा।
- आम करदाता टैक्स कानूनों का उचित ढंग से पालन कर सकें, इसके लिए विभाग सटीक जानकारी मुहैया कराएगा।
- विभाग इनकम टैक्स से जुड़े हर मामले में कानून के तहत निर्धारित समय में फैसला लेगा।
- अगर किसी तरह की पूछताछ, जांच या कार्रवाई की जरूरत पड़ती है तो विभाग इसमें पूरी सतर्कता बरतेगा और करदाता का नाम या उससे जुड़ी जानकारी का खुलासा नहीं करेगा।
- विभाग अपने कार्यों के लिए अपनी जवाबदेही तय करेगा।
- टैक्स से जुड़ी मुकदमेबाजी के मामले में विभाग कम्लायंस की लागत कम करने का प्रयास करेगा।
करदाताओं की क्या होगी जिम्मेदारी?
इस चार्टर के मुताबिक करदाता का टैक्स देना या सरकार का टैक्स लेना, हक का विषय नहीं है बल्कि ये जनता और सरकार दोनों की जिम्मेदारी है। इसलिए चार्टर में टैक्सपेयर से कुछ जिम्मेदारी निभाने की भी अपेक्षा की गई है।
- करदाताओं से उम्मीद की जाती है कि वे सभी जानकारियों का खुलासा करेंगे और ईमानदारी से अपनी टैक्स देनदारी चुकाएंगे।
- करदाताओं से अपेक्षा है कि वे अपनी टैक्स देनदारियों के प्रति सजग रहें और जरूरत पड़ने पर विभाग से मदद लें।
- करदाता, कानून के अनुसार अपने रिकॉर्ड्स को ठीक से रखें और अपने टैक्स प्रतिनिधियों के काम-काज की जानकारी रखें।
- करदाताओं से अपेक्षा है कि वे समय से अपने कागजात, रिटर्न, फॉर्म आदि चीजें जमा करें।
- करदाताओं से उम्मीद की जाती है कि वो समय से अपने टैक्स का भुगतान करें ।

क्यों जरुरी है ये चार्टर?
हमारे देश में करीब 139 करोड़ लोग रहते हैं, लेकिन इनकम टैक्स जमा करनेवालों की संख्या सिर्फ डेढ़ करोड़ के आसपास है। वैसे बीते 6-7 साल में इनकम टैक्स रिटर्न भरने वालों की संख्या में करीब ढाई करोड़ की वृद्धि हुई है, लेकिन इनमें से एक करोड़ लोग केवल रिटर्न भरते हैं, टैक्स नहीं देते। जाहिर है सरकार को ऐसे कदम उठाने होंगे, कि ज्यादा से ज्यादा लोग ईमानदारी से टैक्स भरें।
सरकार के मुताबिक 2012-13 में जितने रिटर्न फाइल होते थे, उनमें से 0.94% की स्क्रूटिनी होती थी। 2018-19 में ये घटकर 0.26% पर आ गई, यानी चार गुना कम हुई। जाहिर है, सरकार आम करदाताओं में विश्वास बहाल करने की कोशिश कर रही है। वैसे भी करदाता और सरकार के बीच सबंध सहज, निर्भीक और आपसी विश्वास को मजबूत करने वाला होना चाहिए। फेसलेस असेसमेंट , फेसलेस अपील और टैक्सपेयर्स चार्टर इसी दिशा में उठाया गया एक कदम है।