अर्द्धसत्य
भारत चीन सीमा पर सरहद का पूरा सच क्या है?
5मई से लद्दाख के करीब सरहद पर चीनी सेना के घुसपैठ की बात सामने आ रही है। 45 दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राय मशविरा करने के लिए आप और राजद को छोड़ बाकी पार्टियों के साथ एक ऑनलाइन बैठक बुलाई।
बैठक में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने सरकार से सवाल किया
- 1. सरकार बताए ..चीन के सैनिकों ने घुसपैठ कब की? और सरकार को इस बारे में कब पता चला?
- 2. क्या सरकार के पास इंटेलीजेंस रिपोर्ट नहीं थी? क्या इसे इंटेलीजेंस फेल्योर माना जाए ?
- 3. माउंटेन स्ट्राइक कोर की मौजूदा स्थिति क्या है? देश यह भरोसा चाहता है कि सीमा पर पहले जैसे हालात स्थापित हो जाएंगे।
बैठक खत्म होने के बाद प्रधानमंत्री ने रात 9 बजे देश को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने देश को बताया
ना कोई हमारे क्षेत्र में घुसा है और ना किसी पोस्ट पर क़ब्ज़ा किया है. हमारे 20 जवान शहीद हुए, लेकिन जिन्होंने भारत माता को चुनौती दी थी, उन्हें वे सबक सिखाकर गए हैं।
प्रधानमंत्री के इस बयान को लेकर राजनीतिक पार्टियों, पत्रकारों और पूर्व सैन्य अफसरों ने सवाल उठाए हैं.
राहुल गांधी ने पूछा कि अगर वो जमीन चीन की थी तो भारत के सैनिक शहीद क्यों हुए और जवान शहीद कहां हुए?
पूर्व सैन्य अधिकारी अजय शुक्ला ने ट्वीट कर कहा कि पीएम का इशारा ये है कि गलवान घाटी साफ तौर पर भारतीय सीमा में नहीं आती, और इस इशारे को समझ कर चीनी सरकार अब कह रही है कि पूरी गलवान घाटी पर उनका दावा है।
इसी तरह के बयान कई और लोगों ने भी सवाल उठाए हैं। लेकिन सवाल उठाने वाले लोग content and intent में फर्क नहीं कर पा रहे हैं। सत्यवचन नैतिकता के पाठ के लिए सही है, लेकिन राजनीति का सच कई बार अर्द्धसत्य होता है।
‘अश्वत्थामा हतो नरो वा कुंजरो वा‘
द्रोणाचार्य के सामने युद्ध में पांडवों की सेना असहाय नजर आने लगी तब भगवान कृष्ण ने कूटनीति का सहारा लिया। युद्धभूमि में ये बात फैला दी गई, कि गुरु द्रोण का पराक्रमी पुत्र अश्वत्थामा मारा गया। द्रोण को विश्वास नहीं हुआ। सच जानने के लिए उन्होंने सच बोलने के लिए प्रसिद्ध युधिष्ठिर से पूछा। युधिष्ठिर ने कहा अश्वत्थामा मारा गया है लेकिन मुझे पता नहीं कि वो इनसान है या हाथी। इसी बीच भगवान कृष्ण के इशारे पर जोर से शंख बजाया गया,जिससे द्रोणाचार्य पूरी बात नहीं सुन पाए। उन्होंने शस्त्र रख दिया और पांचाल नरेश द्रुपद के पुत्र धृष्टद्युम्न ने उनका वध कर दिया।
https://graphics.reuters.com/INDIA-CHINA/BATTLE/yxmvjkzxwpr/index.html
सच ये है कि गलवान घाटी में चीन ने भारत की सीमा में घुसकर कब्जा जमाने की कोशिश की है। प्लानेट लैब की ये तस्वीर भी यही बताती है कि चीन ने गलवान में भारत की सीमा के अंदर दो टेंट लगाए ऑब्जर्वेशन टॉवर बनाया और यहां तक कि गलवान नदी पर एक नहर भी बना ली है। यही बात विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के वरिष्ठ डिप्लोमैट वांग यी से भी कहा।
लेकिन प्रधानमंत्री मोदी जानते हैं कि उनके छह साल के शासनकाल में सरहद और विदेश नीति को लेकर ये सबसे बड़ी चुनौती है। सैन्य नजरिए से स्थिति ये है कि दोनों पक्ष कई स्तर पर लगातार बातचीत कर रहे हैं, लेकिन अब तक बात करने से बात बनी नहीं है। हम अभी वहीं हैं, जहां 6जून को थे। अब तक पेन्गांग झील, और हॉट स्प्रिंग्स में दोनों सेनाएं साजो सामान के साथ सिर्फ 500 मीटर की दूरी पर हैं। दोनों देशों में राष्ट्रवाद का ज्वार अपने चरम पर है। लिहाजा कोशिश है, अवाम को भरोसे में लेकर… माहौल का थोड़ा ठंडा बनाने की। पीएम यही कर रहे हैं और यही चीन भी कर रहा है। इसे कुछ घटनाओं के जरिए समझने की कोशिश कीजिए।
भारत सरकार ने जानकारी दी कि चीन ने दस भारतीय सैनिकों को छोड़ दिया है। इसके पहले ये कहा जा रहा था कि हमारा कोई सैनिक चीनियों के कब्जे में नहीं है। यही सवाल जब चीन के विदेश विभाग से पूछा गया तो विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि कोई भारतीय सैनिक हमारे कब्जे में नहीं है।
“As far as I know China hasn’t seized any Indian personnel,”
सैनिकों की वापसी पर भारतीय सेना का कोई बयान नहीं आया। सेना ने सरकार के उस बयान को ही दोहराया जिसमें कहा गया था कि हमारा कोई सैनिक गायब नहीं है।
भारत का दावा है कि गलवान की झड़प में चीन की सेना को भारी नुकसान हुआ है, लेकिन चीन ने किसी नुकसान की बात को अब तक कबूल नहीं किया है।
मतलब ये कि दोनों देश चाहते हैं कि हालात को और ज्यादा बिगड़ने से रोका जाए और अगर सच इसमें रुकावट है, तो अर्धसत्य चलेगा।