WHO ने जारी की नई एयर क्वालिटी गाइडलाइन
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विश्व स्वास्थ्य संगठन ने प्रदूषण को रोकने के लिए 2005 के बाद पहली बार अपने वायु गुणवत्ता दिशानिर्देशों में सुधार किया है। WHO का कहना है कि नए दिशानिर्देशों को अपना कर हम स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ने के साथ वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों और बिमारियों को रोक सकते हैं। WHO ने यह भी कहा है कि अधिकांश देश पहले तय किये गए कम कड़े मानकों को पूरा करने में विफल रहे हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने प्रदूषण को रोकने के लिए 2005 के बाद पहली बार अपने वायु गुणवत्ता दिशानिर्देशों में सुधार किया है। WHO का कहना है कि नए दिशानिर्देशों को अपना कर हम स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ने के साथ वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों और बिमारियों को रोक सकते हैं। WHO ने यह भी कहा है कि अधिकांश देश पहले तय किये गए कम कड़े मानकों को पूरा करने में विफल रहे हैं।
विश्व स्वस्थ्य संगठन के अनुसार नई सिफारिशों में जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन में पाए जाने वाले पार्टिकुलेट मैटर और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड सहित प्रदूषकों को कम करने का लक्ष्य रखा गया है। इस लक्ष्य काम किया जाए तो लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती है। WHO के डायरेक्टर जनरल टेड्रोस अदनोम ने एक बयान में कहा, “वायु प्रदूषण के कारण हर साल 70 लाख से ज्यादा लोगों की समय से पहले मौत हो जाती है। प्रदूषित हवा शरीर के हर अंग को प्रभावित करती है।”
संयुक्त राष्ट्र निकाय को उम्मीद है कि इस संशोधन से 194 सदस्य देश अपने जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन पर काबू पाने के लिए सही कदम उठाएंगे। बता दें कि नवंबर में संयुक्त राष्ट्र के जलवायु सम्मेलन स्कॉटलैंड के ग्लासगो में होने वाला है जिसके पहले उत्सर्जन-कटौती योजनाओं की प्रतिज्ञा करने के लिए देशों पर दबाव है। डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के अनुसार, 2019 में, वैश्विक आबादी का 90 प्रतिशत 2005 के दिशानिर्देशों के अनुसार अस्वस्थ मानी जाने वाली हवा में सांस ले रहा था। वहीं भारत जैसे कुछ देशों, अभी भी राष्ट्रीय मानक डब्ल्यूएचओ की 2005 की सिफारिशों की तुलना में कम हैं।
WHO released new air quality guideline