दुनिया का पहला हवाईयात्री कौन?
हम राइट ब्रदर्स के बारे में बात नहीं कर रहे, जिन्हें आधुनिक इतिहास…. सबसे पहले हवा में उड़ान भरने और विमान बनाने का श्रेय देता है। हम बात कर रहे हैं लंकापति रावण की, जिनके हवाई यात्रा मार्गों के बारे में रिसर्च शुरु की गई है।
श्रीलंका के नागरिक उड्डयन प्राधिकरण ने सिंहली भाषा में एक विज्ञापन दिया है, जिसमें उनके द्वारा शुरु किये गये एक रिसर्च को लेकर लोगों से संबंधित दस्तावेज मांगे गये हैं। रिसर्च का विषय है – “राजा रावण और गुम हो चुके प्राचीन हवाई मार्ग” (King Ravana and the ancient domination of aerial routes now lost)। विज्ञापन में लोगों से अनुरोध किया गया है कि वे रावण से संबंधित कोई भी दस्तावेज या किताबें शेयर कर सकते हैं… ताकि सरकार को पौराणिक राजा और खोई विरासत पर रिसर्च करने में मदद मिल सके। प्राधिकरण ने इसके लिए एक ईमेल और फोन नंबर भी जारी किया है।
यह विज्ञापन पर्यटन और उड्डयन मंत्रालय ने अलग-अलग अखबार में जारी किया है। अधिकारियों ने बताया कि इस प्रोजेक्ट का मकसद ये है कि राजा रावण के बारे में प्रचलित तमाम कथाओं के बीच एक सच्ची तस्वीर सामने आ सके। जब पूछा गया कि नागरिक उड्डयन विभाग क्यों इस प्रोजेक्ट को शुरु कर रहा है तो अधिकारी ने बताया कि रावण के हवाई जहाज…. पुष्पक विमान और उसके हवाई यात्राओं के मार्गों के बारे में वर्षों से कई कथाएं प्रचलित हैं। हम इससे जुड़ी सच्चाई सामने लाना चाहते हैं।
श्रीलंका के सिविल एविएशन अथॉरिटी के पूर्व उपाध्यक्ष के मुताबिक उनके पास ये साबित करने के लिए ढेर सारे तथ्य हैं। अगले पांच वर्षों में, वो इसे साबित कर देंगे। पिछले साल श्रीलंका सरकार ने कटुनायके में… नागरिक उड्डयन विशेषज्ञों, इतिहासकारों, पुरातत्वविदों, वैज्ञानिकों का एक सम्मेलन आयोजित किया था। सम्मेलन में ये निष्कर्ष निकला था कि रावण ने 5,000 साल पहले श्रीलंका से भारत के लिए उड़ान भरी थी और वापस आया था।
श्रीलंका के पर्यटन विभाग ने भी रामायण से जुड़े स्थलों को विकसित किया है और भारत से आनेवाले पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है। श्रीलंका सरकार ने ‘रामायण’ में आए लंका प्रकरण से जुड़े तमाम स्थलों पर शोध कराकर उसकी ऐतिहासिकता सिद्ध की है और उन स्थानों को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित कर लिया है। ये श्रीलंका के बड़े पर्यटन बाजार का अहम हिस्सा बन चुका है। श्रीलंका सरकार ने अपने पहले सेटेलाइट का नाम भी रावण-1 रखा था, जिसे जून में अंतरिक्ष में भेजा गया।
वैसे भी, श्रीलंका की ज्यादातर सिंहली और बौद्ध आबादी मानती है कि रावण एक महान, वीर और विद्वान शासक था। भारत के द्रविड़ भी रावण को सम्मान की नजर से देखते हैं। रावण के प्रशंसकों में जानेमाने द्रविड़ नेता पूर्व मुख्यमंत्री सी.एन. अन्नादुराई और एम. करुणानिधि भी शामिल रहे हैं। दक्षिण भारत समेत देश के 10 से ज्यादा स्थानों पर रावण की पूजा भी होती है।
सवाल ये है कि अगर रावण का पुष्पक विमान एक हक़ीकत था….तो क्या रामायण को भी कथा के बजाए ऐतिहासिक तथ्यों के नजरिये से देखने की शुरुआत होगी? मुश्किल है…क्योंकि सरकारें ऐसे काम सिर्फ अपने फायदे के लिए करती हैं…श्रीलंका सरकार अपना फायदा देख रही है…और हमारे देश की सरकार अपना फायदा देखेगी। इसका वैज्ञानिकता या ऐतिहासिकता से कोई संबंध होगा…इसकी संभावना कम ही है।