किम का वारिस कौन ?

किम जोंग उन के वारिस के तौर पर जो नाम सबकी जुबान पर है वो है यो जोंग। 12 साल पहले वो तब सुर्खियों में आई, जब साउथ कोरिया में ओलंपिक के दौरान उन्हें साउथ कोरिया के प्रेसीडेंट के साथ वाली कुरसी पर बिठाया गया था। तब वो 20 साल की थीं। अपने बड़े भाई किम जोंग की तरह यो जोंग ने भी स्विटजरलैंड के बर्न में स्कूल की पढ़ाई की। सुरक्षा की खातिर तब स्कूल में उनका नाम पाक मी हयांग और पिता का नाम पाक उन रखा गया था। यो अपने पिता किम जोंग 11 की बेहद दुलारी थीं। इसलिए जब वो सिर्फ 11 साल की थीं, तभी उन्हें पिता ने स्विटजरलैंड से वापस उत्तर कोरिया बुला लिया। उनको यकीन था कि यो बड़ी होकर राजनीति में जाएगी। उन्होंने राजधानी प्योंगयांग से कॉलेज की डिग्री ली। जनता की नजर में वो पहली बार 2011 में अपने पिता के अंत्येष्टि कार्यक्रम में नजर आईँ। बड़े भाई के तौर पर किम जोंग के राष्ट्राध्यक्ष बनने के बाद से ही देश की राजनीति में यो जोंग का कद लगातार बढ़ता गया है।
यो जोंग क्यों अहम हैं ?
18 साल की उम्र में उन्होंने वर्कर्स पार्टी ऑफ कोरिया ज्वाइन की
ज्वाइन करते ही उन्हें राष्ट्राध्यक्ष किम जोंग 11 का सचिव नियुक्त कर दिया गया
2011 में किम जोंग11 की मृत्यु तक वो इस पद पर बनी रहीं
अभी वो किम जोंग की सबसे करीबी सलाहकार हैं
वो प्रचार विभाग की प्रमुख हैं
चंद हफ्ते पहले ही उन्हें उत्तर कोरिया के पोलितब्यूरो का सदस्य बनाया गया है
अमेरिका और साउथ कोरिया जैसे अहम देशों से रिश्तों को लेकर उनके बयान को देश के मीडिया में बहुत अहमियत दी जाती है। प्रेसीडेंट ट्रंप और किम को लेकर उन्होंने बीते महीने कहा था कि प्रेसीडेंट ट्रंप और किम यो जोंग के बीच बहुत विशिष्ट और मजबूत रिश्ता है। जब साउथ कोरिया ने उत्तर कोरिया के युद्धाभ्यास पर एतराज जताया तब उन्होंने दक्षिण कोरिया को डरा कुत्ता करार दिया जो बेमतलब भूंकता रहता है।
कोरिया में पेक्तू परिवार की बहुत अहमियत है। किम का परिवार खुद को कोरिया के सबसे ऊंचे पहाड़ पेक्तू से जोड़कर पेश करता है। बीते पचास साठ सालों में जनता के मन में ये बात बिठा दी गई है कि सिर्फ इस परिवार का कोई व्यक्ति ही शासन कर सकता है। बीते दस साल से यो की चाची किम क्योंग हुई उन्हें नेता बनने की ट्रेनिंग देती रही हैं। डोनाल्ड ट्रंप के साथ किम की शिखर वार्ता हो या किसी दूसरे राष्ट्राध्यक्ष के साथ मीटिंग, बीते कुछ सालों में यो लगातार अपने भाई के साथ तमाम सार्वजनिक मंचों पर नजर आती रही हैं। उत्तर कोरिया में उन्हें किम के बाद सबसे अहम शख्सियत माना जाता है।
उनके आने से क्या फर्क पड़ेगा
एटमी नीति के मामले में वो अपने भाई से भी ज्यादा सख्त रुख रखती हैं
वो अमेरिका के साथ किसी एटमी डील के पूरी तरह खिलाफ हैं
वो चीन के साथ मजबूत रिश्ता चाहती हैं
साउथ कोरिया को लेकर उनका रुख सख्त होने का अनुमान है
अगर यो किम की जगह लेती हैं तो वे उत्तर कोरिया की पहली महिला राष्ट्राध्यक्ष होंगी। ऐसा अनुमान है कि उनके शासन में चाणक्य की भूमिका उनके चाचा किम प्योंग 11 की होगी।