परीक्षार्थी हाजिर हों!
भारत के इतिहास में ये…. सबसे बड़ा अविश्वास प्रस्ताव है….
जिन बच्चों ने कभी संसद नहीं देखा, न अपने राज्य की एसेंबली के भीतर कभी दाखिल हुए, उन्होंने पेश किया है केंद्र सरकार के खिलाफ ….अविश्वास प्रस्ताव
NTA- National Testing Agency के मुताबिक 9.53 लाख छात्रों ने JEE (Main) और 15.97 लाख छात्रों ने NEET UG, 2020 के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था। NTA ने सारी तैयारियां की। जैसे- इम्तिहान के सेंटर बढ़ाए, एक सीट छोड़कर बच्चों के बैठने की व्यवस्था की, एंट्री और एग्जिट में भीड़ रोकने के उपाय किए। स्पेशल ट्रेन से लेकर एग्जाम सेंटर तक छात्रों के पहुंचने के लिए व्यवस्था की गई। लेकिन फिर भी ये उपाय नाकाफी साबित हुए। ऐसे वक्त में जबकि… बीते 13 दिन में दस लाख संक्रमण के नए मामले सामने आए हैं, और सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमण के मामले में भारत ब्राजील को पीछे छोड़ने वाला है, हमारी सरकार ने फैसला किया कि बच्चों की जिन्दगी से ज्यादा जरूरी है उनका भविष्य। लिहाजा करीब 25 लाख बच्चों के साथ NEET और JEE Mains के इम्तिहान तय वक्त और शिड्यूल के मुताबिक ही होंगे। बात सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची। अदालत ने केंद्र सरकार के फैसले पर मुहर लगा दी।
“We have carefully gone through the review petitions and the connected papers. We find no merit in the review petitions and the same are accordingly dismissed,”
सुप्रीम कोर्ट
अब जो जानकारी सामने आ रही है, उसके मुताबिक JEE के पहले तीन दिन में 458,521 छात्रों को शामिल होना था, लेकिन शामिल हुए सिर्फ 343,958…. 25% कम। इसके साथ ही इस साल देश के सबसे अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले का 1.15 लाख स्टूडेंट्स का सपना टूट गया है । कोरोना से छात्रों के जिस डर को विरोधी पार्टियों की साजिश के नाम पर खारिज किया गया था, वो डर उससे ज्यादा वास्तविक था जितना कि सरकार ने सोच रखा था।
इम्तिहान का दिन | कोर्स | परीक्षा देने वाले छात्र (%) |
पहला | Bachelor in Architecture , Bachelor in Planning | 54.67 |
दूसरा | bachelor of engineering (BE) | 81 |
तीसरा | bachelor of technology (B.Tech) | 82 |
लखनऊ में पहले दिन महज 56% छात्र इम्तिहान में शामिल हुए।
लुधियाना में ये आंकड़ा 45% रहा।
राज्यों की बात करें तो पहले दिन पश्चिम बंगाल में महज 25%, जबकि असम में 50%और गुजरात में 55% के करीब छात्र ही इम्तिहान में शामिल हुए। दूसरे दिन जालंधर में 493 में से 391 छात्र यानी 79.3 % ही परीक्षा में शामिल हुए।झारखंड में JEE (Main) में पहले चार दिन में 14198 छात्रों को इम्तिहान में शामिल होना था, लेकिन 11310 ही इम्तिहान देने आए।
आपने इम्तिहान में शामिल होने वाले छात्रों का आंकड़ा देखा, अब सुनिए इस मुद्दे पर शिक्षा मंत्री निशंक का क्या कहना है
शिक्षा मंत्री का दावा है कि इस इम्तिहान में सारे SOP का ख्याल रखा गया है।
एग्जाम सेंटर पर जिस SOP की बात केंद्र सरकार कह रही है, उसकी असलियत भी देख लीजिए
शिक्षा मंत्री का दावा है कि अगर ये इम्तिहान वक्त पर नहीं होते तो 4800 करोड़ का नुकसान होता।
प्राण जाए, पर नुकसान न होने पाए के सिद्धांत पर चल रही सरकार के लिए ये बात ज्यादा मायने नहीं रखती कि इस वक्त महाराष्ट्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल जैसे राज्य कोरोना से बुरी तरह प्रभावित हैं तो बिहार, उड़ीसा और असम कोरोना के अलावा बाढ़ से भी जूझ रहे हैं।
ऐ भाई! सच तो ये है कि हम सब की ज़िंदगी धाँधली और धोखे का धंधा है। जो लोग ग़रीबों और मेहनतकशों का नाम लेकर अपने गिर्द मजमा लगाते हैं, उनकी बातों में न आना और न हमारे लिखे पर जाना कि हम सब झूटे हैं। जिनका हक़ छीना गया है, उनको बस अपने ही ऊपर भरोसा करना है। हमने अपनी दानिस्त में जितने भी सच बोले, वो सब झूट थे। सुनो ऐ धोका खाने वालो! ऐ ख़ून के घूँट पीने वालो! तुम सब अपने ही ऊपर भरोसा करो और उनकी तरफ़ से चौकन्ने रहो, जो अपने आपको तुम्हारा चौधरी समझते हैं।
जॉन एलिया की किताब ‘फरनूद‘ का एक अंश