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तेल का खेल: सऊदी अरब ने रुस पर साधा निशाना और अमेरिका चारों खाने चित्त!

कारोबार जरुर पढ़ें दुनिया संपादकीय

तेल का खेल: सऊदी अरब ने रुस पर साधा निशाना और अमेरिका चारों खाने चित्त!

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क्या हुआ ?

अमेरिका में कच्चे तेल की कीमत इतिहास में पहली बार कुछ इस तरह से गिरी कि चंद घंटों में $18 प्रति barrel से  -$38 हो गई।

ऐसा क्यों हुआ ?

  1. कोरोना वायरस और लॉकडाउन की वजह से अमेरिका में तेल की डिमांड तेजी से गिरी
  2. IMF की ओर से 1932 के ग्रेड डिप्रेशन के बाद दुनिया की इकोनॉमी पर सबसे बड़े खतरे का अंदेशा जताने से तेल के बाजार में डर छाया
  3. फरवरी और मार्च में खरीदे गए तेल से स्टोरेज भर गए थे
  4. सऊदी अरब से चले 18 सुपरटैंकर अगले महीने अमेरिका पहुंचने वाले हैं  
  5. मई महीने के लिए तेल के वायदा कारोबार का मंगलवार को आखिरी दिन था। जब तेल उत्पादकों को लगा कि उनके पास तेल रखने की कोई जगह है ही नहीं, तब मजबूरी में वो खरीदारों को इसे रखने भर के लिए प्रति लीटर 17.50 रुपये देने पर राजी हो गए।
  6. महीने भर से सऊदी अरब और रुस के बीच पेट्रो वार चल रहा था। रुस पर दबाव डालने की नीयत से सऊदी अरब बार-बार तेल उत्पादन बढ़ाने की धमकी दे रहा था, वो भी ऐसे वक्त में जबकि तेल रखने की जगह कहीं नहीं बची थी।
  7. अरब सागर में 16 करोड़ बैरल तेल सुपर जायंट तेल टैंकरों में स्टोर कर रखे गए हैं। पिछली बार ऐसा 2009 में हुआ था जब 10 करोड़ बैरल तेल समंदर मे तैर रहे थे।

ऐसा आखिरी बार कब हुआ था ?

1980 के दशक में, जब डिमांड से ज्यादा पेट्रोलियम की सप्लाई होने से तेल की कीमत पर 17 साल तक दबाव बना रहा।

अभी तेल की कीमत क्या है?

बाजार       कीमत $ प्रति बैरल

WTI                   10.72

MARS  US       07.90

BRENT  CRUDE  16.32

OPEC                  14.19

Ural                  24.10

(22.04.2020 स्रोत- oilprice.com)

आगे क्या होगा ?

तेल की कीमत इस साल की शुरूआत में $69 प्रति बैरल थी जो मार्च के आखिर में घटकर $23 पर आ गई थी। अगले कुछ महीने तक तेल की कीमत 15 से 20 $ और तीन महीने या यूं कहें कि कोरोना संकट खत्म होने के बाद 25 से 30$ प्रति बैरल होने का अनुमान किया जा रहा है।

अगर हालात जल्द न सुधरे तो दुनिया की कई बड़ी तेल कंपनियां दीवालिया हो सकती हैं, उनके कुएं और रिफाइनरी बंद हो सकती है। ये तय है कई नामचीन कंपनियां अपने शेयरहोल्डर्स को भारी डिवीडेंड नहीं दे पाएंगी।

अमेरिकी तेल सस्ता होने से हमें क्या फायदा ?

साल 2018 में भारत ने 1.4 मिलियन और 2019 में 6 मिलियन टन क्रूड अमेरिका से खरीदा था। 18वें स्थान से अमेरिका अब भारत को तेल का 9वां सबसे बड़ा निर्यातक बन चुका है। ये वक्त है जब भारत अमेरिका से तेल के इस आयात को और बढ़ा सकता है।

भारत को क्या फायदा?

हम अपनी जरूरत का 80से85% तेल आयात करते हैं।अगर तेल की कीमत में 1$की कमी होती है तो हमारे विदेशी मुद्रा भंडार में 1.6 बिलियन $ की बचत होती है।

क्या हमारे यहां तेल सस्ता होगा ?

भारत का तेल बाजार WTI- west texas  intermediate नहीं ब्रेंट क्रूड से बेंचमार्क किया हुआ है जो  बीते कुछ हफ्तों से 15 से 20 $ के बीच चल रहा है, लेकिन हमारे यहां तेल की कीमत वही है जो तब थी जब तेल 40से 50 $ के बीच चल रहा था। मतलब ये कि अमेरिका में चाहे तेल -38$ का बिके हमारे यहां तेल 70रुपये लीटर के आस-पास ही रहने वाला है। अगर दो रुपये की कमी हो गई तो बहुत समझिए, हालांकि तेल कंपनियां चाहतीं तो कम से कम 15 रुपये की कमी कर सकती थीं।

हमें क्या करना चाहिए ?

वही जो चीन और अमेरिका कर रहे हैं। वो बड़ी मात्रा में तेल खरीद रहे हैं, अपने स्ट्रैटजिक रिजर्व को बढ़ा रहे हैं। अमेरिकी प्रेसीडेंट ट्रंप का कहना है कि —

 “If we could buy it for nothing, we’re gonna take everything we can get,”

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