जेल में नवजोत सिंह सिद्धू को क्यों सता रहा जान का डर, सुपरिटेंडेंट से मांगी सुरक्षा
नवजोत सिंह सिद्धू 1988 में एक रोडरेज मामले में जेल में बंद हैं। यहां उनको अपनी जान जाने का डर सता रहा है। उन्होंने जेल का खाना खाने से इनकार कर दिया है। उन्हें खाना न खाने पर सेहत बिगड़ने के कारण अस्पताल भी ले जाया गया था। अब अपनी जान जाने के डर से उन्होंने जेल प्रशासन को चिट्ठी लिखी है और चिट्ठी लिखकर सुपरिटेंडेंट से अपने लिए सुरक्षा की मांग की है।
दरअसल, नवजोत सिद्धू को 1988 के रोडरेज मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 1 साल की सजा सुनाई है। उन्होंने 1988 में अपने दोस्त के साथ मिलकर एक शख्स की पिटाई की थी। इसके बाद उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई थी। हालांकि, रिपोर्ट में सामने आया था कि शख्स की मौत हार्ट अटैक से हुई। इस मामले में सिद्धू एक साल की सजा काट रहे हैं।
सिद्धू पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं। वे इससे पहले बीजेपी में भी रह चुके हैं। उन्होंने कॉमेडी शो में बतौर जज भी भूमिका निभाई है। यही नहीं, क्रिकेटर होने के साथ ही वे कमेंटेटर भी रह चुके हैं। रोडरेज मामले में इस समय पंजाब की पटियाला जेल में बंद हैं। कैद में रहने के दौरान सिद्धू को ये डर सता रहा है कि उनकी जान को खतरा हो सकता है। यही कारण है कि उन्होंने जेल सुपरिटेंडेंट को पत्र लिखकर सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की है।
इससे पहले मई 2022 में सिद्धू ने जेल की दाल-रोटी खाने से इनकार कर दिया था. इस फैसले का सीधा असर उनकी सेहत पर दिखने लगा था। तबीयत बिगड़ने के बाद सिद्धू को पटियाला के राजिंद्र हॉस्पिटल ले जाया गया था, जहां उनका चेकअप हुआ था।. 4 घंटे के चेकअप के बाद उन्हें वापस जेल ले जाया गया था। दरअसल, सिद्धू ने दावा किया था कि उन्हें गेहूं से एलर्जी है, ऐसे में उन्होंने जेल का खाना खाने से इनकार कर दिया था। वे जेल की दाल रोटी नहीं खा रहे थे और सिर्फ सलाद खाकर गुजारा कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने सुनाई थी 1 साल की सजा सिद्धू को 1988 के रोडरेज मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 1 साल की सजा सुनाई है।
इस मामले में सिद्धू को निचली अदालत ने बरी कर दिया था, लेकिन हाईकोर्ट ने सिद्धू को 3 साल कैद की सजा सुनाई थी। इसके बाद सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट में फैसले को चुनौती दी थी। 15 मई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने नवजोत सिद्धू को इस मामले में 1 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था. लेकिन पीड़ित के परिजनों ने मई 2018 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए सिद्धू को एक साल की सजा सुनाई थी।
Why Navjot Singh Sidhu was harassed in jail, fearing for his life, sought security from the superintendent