हार कर जीतने वाले को बाजीगर कहते हैं!
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स्टुअर्ट ब्रॉड ने वेस्ट इंडीज के खिलाफ मैच के पांचवें दिन 14वें ओवर में क्रेग ब्रेथवेट का विकेट लेकर टेस्ट क्रिकेट में अपने पांच सौ विकेट पूरे किए।

जिम्मी एंडरसन के बाद इस इतिहास को रचने वाले वो सिर्फ दूसरे इंगलिश और दुनिया के चौथे फास्ट बॉलर हैं।
इस मैच से पहले सचिन ने सही अनुमान लगाया था कि ब्रॉड सिर्फ खेलने नहीं एक मिशन के साथ उतरे हैं। इंग्लैंड की जीत और ब्रॉड की महान कामयाबी पर सचिन तेंदुलकर ने ट्वीट किया।
ब्रॉड की इस कामयाबी को बेहतर तौर पर समझना है तो 13 साल पहले की एक घटना से रुबरू होना जरूरी है।
फ्लिंटॉफ की लगाई आग में झुलसे ब्रॉड
2007 में साउथ अफ्रीका के डरबन में ICC World T20 मैच में युवराज सिंह शानदार खेल रहे थे। युवी ने 6 गेंद में 14 रन बना लिए थे। तभी फ्लिंटॉफ ने युवी को उकसा दिया। युवी बल्ला लेकर फ्लिंटॉफ की ओर बढ़े, लेकिन धोनी ने उन्हैं रोक दिया।
अब अगला ओवर गेंद डालने आए 21 साल के स्टुअर्ट ब्रॉड …6 गेंद…6 छक्के…
- पहली गेंद मिड विकेट के पार
- दूसरी गेंद स्क्वायर लेग
- तीसरी गेंद एक्स्ट्रा कवर के पार
- चौथी गेंद प्वाइंट बाउंड्री के पार
- पांचवीं गेंद, मिड विकेट के पार
- छठी गेंद फिर मिड विकेट के पार
युवी के छक्कों ने एक तरह से ब्रॉड का करियर खत्म कर दिया। लेकिन उन्होंने सबक लिया, हिम्मत से काम लिया और डटे रहे।

चार साल बाद !
युवी के हाथों छह छक्के खाने के बाद ब्रॉड ने खुद को तैयार किया। चार साल बाद 2011 में टीम इंडिया इंग्लैंड के दौर पर आई। इंग्लैंड ने टेस्ट सीरीज 4-0 से और वनडे सीरीज 3-0 से जीती।इस दौरे में एक t20 मैच खेला गया, वो भी इंग्लैंड ने ही जीता। इस पूरी सीरीज में जीत का हीरो कौन था.. और कोई नहीं स्टुअर्ट ब्रॉड । 25 विकेट लेकर वो टेस्ट में मैन ऑफ द सीरीज से नवाजे गए।
21 साल की उम्र में श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट की शुरूआत करने वाले ब्रॉड का करियर इंज्यूरी, लॉस ऑफ फॉर्म, कंट्रोवर्सी से भरा रहा है। लेकिन अपने देश के लिए गेंदबाज के तौर पर उन्होंने कई बार शानदार कारनामा कर दिखाया है. एशेज सीरिज में ट्रेटंब्रिज में 8-15 और साउथ अफ्रीका के खिलाफ जोहान्सबर्ग में 6-17 के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। उन्हें टेस्ट बॉलर्स में नंबर वन रैंक हासिल करने का गौरव मिल चुका है।
क्रिकेट का सबसे बदनाम युवा

2013 एशेज सीरीज में एस्टन एगर की गेंद पर कैच आउट होने पर भी ब्रॉड क्रीज से हिले तक नहीं। अंपायर गेंद नहीं देख पाए थे, और ऑस्ट्रेलिया अपना सारा रिव्यू खत्म कर चुका था। ऑस्सी मीडिया खास कर डेरन लेहमान ने ब्रॉड को चीटर करार दिया। यहां तक कि कुछ ऑस्ट्रेलियाई अखबारों ने ब्रॉड की तस्वीर तक छापनी बंद कर दी।

स्टेडियम में ब्रॉड के खिलाफ बैनर लेकर दर्शक आते थे। लेकिन ब्रॉड इससे विचलित नहीं हुए। बाद में उन्होंने कहा- मेरा उस वक्त क्रीज पर रहना जरूरी था। मैंने जो कुछ किया, टीम के हित में किया।
जिस चोट से कभी उबर नहीं पाए ब्रॉड
स्टुअर्ट ब्रॉड अपने पिता क्रिस ब्रॉड की तरह ही बैट्समैन बनना चाहते थे। लेकिन जब वो 16-17 साल के थे, तभी उनका कद तेजी से बढ़ा और वो 6 फीट 5 इंच के हो गए। इसके बाद उन्हें लगा कि मेरे पास फास्ट बॉलर बनने का चांस है। लेकिन बैटिंग से उनका लगाव बना रहा। शुरूआती सालों में ब्रॉड अच्छे बैट्समैन भी माने जाते थे, लेकिन 2014 में उनके साथ एक बड़ा हादसा हुआ। इंडिया के खिलाफ ओल्ड ट्रेफर्ड में चौथे टेस्ट मैच में ब्रॉड नंबर दस पर बैटिंग के लिए आए। उन्होंने वरुण एरोन की गेंदों पर दो सिक्सर लगाए। इसके फौरन बाद एरॉन की एक तेज बाउन्सर हेलमेट की जाली से होकर उनकी नाक पर लगी। इसके बाद वो कभी खुल कर बल्लेबाजी नहीं कर पाए।
हैट्रिक लिया और पता भी नहीं
Hugh Trumble, Jimmy Matthews और वसीम अकरम के साथ ब्रॉड दुनिया के चार बॉलर्स में शामिल हैं जिन्होंने दो बार टेस्ट मैच में हैट्रिक ली है। जब दूसरी बार उन्होंने हैट्रिक ली तो उन्हें पता भी नहीं चला कि ये हैट्रिक है।
सिवाय वर्नॉन फिलैन्डर के दुनिया में कोई ऐसा गेंदबाज नहीं जो ब्रॉड की तरह किफायत के साथ गेंदबाजी कर मैच में पांच विकेट लेता है। मतलब ये कि अगर ब्रॉड किसी मैच में 5 विकेट लेते हैं तो विरोधी टीम का हारना तय हो जाता है।

इंग्लैंड के पूर्व कैप्टन नासिर हुसैन ने ब्रॉड के बारे में डेली मेल में लिखा –
“He is not as popular as he should be and remains an under-appreciated cricketer,” “He has not always been well liked by the public but when it comes to his cricket he is completely switched on. There is no one who thinks about his game and England’s plans more than Broad.
“Broad is not one for pleasantries and will sometimes walk past you in the morning without saying anything, which doesn’t always endear him to broadcasters, but that is because he is completely focused on his game.”
It’s not that Broad doesn’t care at all about how he’s perceived. It’s just that his focus is rarely far from the game itself.