बीच वाली सीट का सवाल
मुनाफे के लिए लोगों की जिन्दगी से खेलने का एक बेहद खतरनाक खेल खेला जा रहा है। इसमें कौन लोग शामिल हैं? उनका मकसद क्या है? और इसे वो किस तरह अंजाम दे रहे हैं? ये मैं आपको नहीं बताऊंगा लेकिन आप समझ जाएंगे …
पहले सुनिए एक फैसले के बारे में जो हमारी आपकी और बहुत सारे लोगों की जिन्दगी पर असर डालने वाला है और शायद आपने इस पर गौर करने की जरूरत भी नहीं समझी थी।
बम्बई हाईकोर्ट ने सभी एयरलाइन्स को हवाई जहाज में बीच वाली सीट पर पैसेंजर बैठाने की इजाजत दे दी है। 31 मई को DGCA –Director general civil aviation- के रोक लगाने वाले सर्कुलर के बाद अदालत का ये अंतरिम आदेश आया है.।
इस फैसले की अहमियत क्या है?
23 मार्च को भारत सरकार ने आदेश दिया था कि प्लेन में बीच वाली सीट पर मुसाफिर नहीं बिठाए जाएंगे। इसके बाद DGCA ने सर्कुलर निकाल कर हवाई जहाज में बीच वाली सीट पर मुसाफिर बिठाने की मनाही कर दी थी। ताजा फैसले से ये हुआ कि, कोरोना के जोखिम से आम मुसाफिरों को बचाने के लिए लिया गया भारत सरकार और DGCA का फैसला निरस्त हो गया और एयरलाइन्स कंपनियों को ज्यादा मुनाफा कमाने का रास्ता खुल गया।
ये फैसला कैसे हुआ ?
सिविल एविएशन मिनिस्ट्री के सेक्रेटरी की अध्यक्षता वाली एक्सपर्ट कमेटी ने कोर्ट को बताया
कोरोना से संक्रमित व्यक्ति के छूने मात्र से दूसरे व्यक्ति को sars-cov2 वायरस का संक्रमण नहीं होगा। संक्रमण तभी होगा अगर कोई संक्रमित व्यक्ति को छींक आती है, वो खांसता है और इस दौरान उसके मुंह से या नाक से droplets निकल कर किसी जगह जैसे कपड़े पर पहुंचता है और कोई दूसरा व्यक्ति इस संक्रमित जगह को हाथ से छूता है और फिर अपने संक्रमित हाथ को अपने मुंह या नाक तक ले जाता है। अगर कोई संक्रमित व्यक्ति प्रोटेक्टिव गाउन पहन लेता है, और इस गाउन पर वायरस मौजूद है और उसके बगल में बैठा शख्स इस गाउन को उसी संक्रमित जगह पर गलती से छू लेता है तब भी वो संक्रमित नहीं होगा, क्योंकि गाउन एक शील्ड का काम करेगा। इसके लिए ये जरूरी है कि दोनों लोगों ने मास्क और फेस शील्ड लगा रखा हो। ये भी जरूरी है कि गाउन को पहनने और हटाने के लिए तय मानक का पूरी तरह पालन हो।
(तुषार मेहता, Solicitor General एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट पेश करते हुए)
एक्सपर्ट कमेटी में कौन लोग शामिल हैं?
डॉ रनदीप गुलेरिया, डायरेक्टर AIIMS
ड़ॉ बलराम भार्गव, DG, ICMR
डॉ नरेश त्रेहन, CMD Medanta
प्रदीप सिंह खरोला, Secretary MOCA
कमेटी की रिपोर्ट को गौर से पढ़िए। क्या आपको लगता है इस रिपोर्ट को देश के सबसे नामी गिरामी डाक्टरों ने तैयार किया है।
इस रिपोर्ट में क्या है जो सही नहीं लग रहा
- अब तक हम और आप यही समझते रहे हैं कि कोरोना छूने से फैलता है। वो कागज, कपड़ा, प्लास्टिक, लोहा जैसी किसी संक्रमित चीज को छूने से भी फैलता है। कमेटी ने सही बात को इस तरह घुमा कर कहा है कि वो एक साथ संक्रमण के खतरे भी बता रही है और एयरलाइन्स को बीच वाली सीट भरने की वजह भी मुहैया करा रही है।
- प्लेन में अब तक जो भी लोग सफर कर रहे हैं, उन्हें सिर्फ मास्क और ग्लब्स लगाने के निर्देश दिए गए हैं। कमेटी प्रोटेक्टिव गाउन की बात कह रही है, ये PPE जैसी कोई चीज हो सकती है, लेकिन क्या आपने प्लेन में लोगों को प्रोटेक्टिव गाउन पहन कर जाते देखा है?
- ये कहना कि आपके बगल की सीट पर कोई कोरोना मरीज हो तो भी आपको कोई खतरा नहीं है, ये कहना थोड़ी जल्दबाजी होगी। क्योंकि देश और दुनिया में हर छठा मरीज एक हेल्थ वर्कर है, कई डॉक्टर हैं, जो पीपीई लगाकर मरीजों को बगैर छुए इलाज करते हैं, तब भी उनके संक्रमित होने के मामले रोज ब रोज आ रहे हैं।
- इस कमेटी के एक मेंबर नरेश त्रेहन हैं। अभी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है कि कोरोना के मरीजों का इलाज निजी अस्पतालों में मुफ्त किया जाए या इसके लिए पश्चिम बंगाल की तर्ज पर एक रकम तय कर दी जाए। ये याचिका इसी वास्ते डाली गई है क्योंकि इल्जाम है कि बड़े निजी अस्पताल कोरोना के इलाज के नाम पर मनमाने ढंग से रकम चार्ज कर रहे हैं और कैशलेस इन्श्योरेंस भी वो नहीं कबूल कर रहे।
इसके पहले DGCA ने 31 मई को आदेश जारी कर एयरलाइन्स को प्लेन में बीच वाली सीट खाली रखने को कहा था। आदेश में ये भी कहा गया था कि ज्यादा पैसेंजर लोड की वजह से अगर बीच वाली सीट का भरा जाना जरूरी हो तो इस पैसेंजर को फेस शील्ड, प्रोटेक्टिव गाउन जैस हिफाजत के अतिरिक्त सामान दिए जाएं।
लेकिन जब एयरलाइन्स को खोला गया तब वंदे मिशन में इस आदेश का उल्लंघन किया गया।
22मई को बम्बई हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि बीच वाली सीट खाली रखी जाए। कुछ ही घंटों बाद एयरइंडिया ने हाइकोर्ट को बताया कि भारत सरकार ने 23 मार्च का अपना आदेश वापस ले लिया है और आज ही इस वास्ते एक नया सर्कुलर जारी हो गया है। इसके फौरन बाद DGCA ने भी अपने पूर्व के आदेश को रद्द करते हुए 25 मई से बीच वाली सीट पर पैसेंजर ले जाने की इजाजत देने वाली सर्कुलर जारी कर दिया।
इसके बाद सोमवार 25 मई को एयर इंडिया की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने वंदे भारत मिशन के लिए 6 जून तक बीच वाली सीट पर पैसेंजर्स को लाने की इजाजत दे दी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ये टिप्पणी भी की-
Mr.Mehta, You should be worried about the health of citizens, not about the health of commercial airlines
“Will the virus know it is in the aircraft and it is not supposed to infect?,”
इसके साथ ही ईद की छुट्टी के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 6जून के बाद वो नियम लागू होगा जो इस बारे में बम्बई हाई कोर्ट पारित करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने बम्बई हाईकोर्ट से कहा कि इस बारे में वो 2जून को या जितना जल्द मुमकिन हो अपना फैसला सुना दे।
इसके बाद एयर इंडिया के कमांडर Deven Y Kanani ने मुंबई हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इस याचिका में 23 मार्च के भारत सरकार के आदेश को फिर से लागू करने की मांग की गई जिसके तहत बीच वाली सीट पर मुसाफिरों के बैठने पर पाबंदी लगाई गई थी।
अब मुंबई हाईकोर्ट के फैसले से एयरलाइन्स कंपनियों को बीच वाली सीट पर पैसेंजर ले जाने की इजाजत मिल गई है।
मलेशिया और इंडोनेशिया में हर दूसरी सीट खाली रखने का नियम बनाया गया है। यूरोप की छोटी दूरी की एयरलाइंस EasyJet और यूरोप की बजट करियर Wizz Air में बीच वाली सीट खाली रखा जा रहा है। इसी तरह अमेरिका की एयरलाइन्स Alaska Airlines में भी बीच वाली सीट खाली रखी जा रही है। लेकिन यूरोप और अमेरिका की ज्यादातर कंपनियां बीच वाली सीट खाली नहीं रख रही हैं। IATA का भी मानना है कि एयरलाइन्स दो तिहाई सीट के साथ मुनाफे पे नहीं चलाई जा सकती।
सवाल है अगर जमीन पर सोशल डिस्टेन्सिंग के लिए एक मीटर का फासला जरूरी है तो इस फासले की जरूरत हवा में कैसे कम हो जाती है। अगर जमीन वाला फार्मूला हवाईजहाज पर लागू हो तो एक अनुमान के मुताबिक औसतन 26 सीट पर सिर्फ चार पैसेंजर बैठेंगे। बीच की सीट खाली रखने पर भी दो मुसाफिरों के बीच की दूरी 6 फीट न होकर महज 18 इंच या 45 सेंटीमीटर ही रहती है। एयरलाइन्स में एक से दूसरे कतार के बीच महज 75-80cm या 29-32 ईंच की दूरी होती है। अगर 6फीट वाला नियम लागू हो तो हर कतार के बाद दो कतार खाली रखना होगा। यानी हवाई जहाज में पूरी सीट का महज 15% सीट ही भरा जाना चाहिए।
तो क्या ये सब महज मुनाफे का खेल है ?
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