मुस्लिम देश सबसे बड़ी परेशानी के दौर से गुजर रहे हैं, इससे सबसे ज्यादा परेशान भारत क्यों है?
मध्यपूर्व (middle-east)बदल रहा है, आर्थिक परिदृश्य (economy) में इस बदलाव से सबसे ज्यादा फर्क जिस देश को पड़ने वाला है, वो है भारत (India)। सिर्फ दो साल में ओपेक (OPEC) देशों का सारा गणित बदल गया है। एक वक्त तेल (Oil) का मतलब था ओपेक देश, लेकिन 2018 में तेल का सबसे बड़ा आयातक देश अमेरिका (US), तेल का सबसे बड़ा उत्पादक देश बन गया। इसके बाद तेल और गैस का रुस में तेजी से उत्पादन बढ़ा। अब आलम ये है कि दुनिया भर में बीते पचास साल से तेल की कीमत तय करने वाले ओपेक देश अब पूरी तरह हाशिए पर आ गए हैं।
ओपेक और गैर-ओपेक देश का तेल बाजार में हिस्सा
2019 | 2020 | 2021 | |
Non OPEC | 65.99 | 63.61 | 65.28 |
OPEC | 34.65 | 30.61 | 34.09 |
World production | 100.64 | 94.22 | 99.37 |
दुनिया के पांच सबसे बड़े तेल उत्पादक देशों में ओपेक से सिर्फ दो मेंबर सऊदी अरब और इराक शामिल रह गए हैं।
तेल के सबसे बड़े उत्पादक देश(2019)
रैंक | देश | तेल उत्पादन- मिलियन बैरल प्रति दिन | तेल उत्पादन में हिस्सा |
1 | अमेरिका | 19.51 | 17.9% |
2 | सऊदी अरब | 11.81 | 12.4% |
3 | रुस | 11.49 | 12.3% |
4 | कनाडा | 5.50 | 5.9% |
5 | इराक | 4.74 | 5% |
अमेरिका, रुस, कनाडा जैसे देशों में तेल के उत्पादन में इजाफे से ओपेक देशों की ताकत तो कम हुई ही, दूसरी बड़ी चोट कोरोना से पड़ी। तेल के सबसे बड़े आयातक देशों में चीन अकेला देश है जो मार्च 2020 की खपत और खरीद के करीब पहुंच गया है, वहीं भारत में तेल की खपत इस साल 70% तक गिरने का अनुमान है।
तेल की सबसे ज्यादा खपत वाले देश
रैंक | देश | तेल की खपत(mbd) मिलियन बैरल प्रति दिन |
1 | अमेरिका | 19.4 |
2 | चीन | 14 |
3 | भारत | 5.2 |
4 | जापान | 3.8 |
5 | सऊदी अरब | 3.78 |
मध्य पूर्व के देशों की तेल पर टिकी इकोनॉमी पूरी तरह ध्वस्त नजर आ रही है। नतीजा स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया कराने के लिए वहां की सरकारें दबाव में हैं। अब यहां काम कर रहे 85 लाख से ज्यादा प्रवासी भारतीय मजदूरों के लिए नियम कानून सख्त हो रहे हैं। कुवैत में प्रवासी मजदूरों की तादाद 28 लाख से घटकर 12 लाख की जानी है। अनुमान है कि इस कानून की वजह से कुवैत से कम से कम आठ लाख भारतीयों को वापस भारत लौटना पड़ सकता है।
बात सिर्फ नौकरियों की नहीं है, भारत को खाड़ी के देशों में काम करने वाले भारतीयों से बड़ी तादाद में विदेशी मुद्रा हासिल होती है। अब इस पेट्रो डॉलर में 35% तक की कमी आने की आशंका है।
खाड़ी देशों से भारत आने वाली विदेशी मुद्रा (2018)
देश | विदेशी मुद्रा( बिलियन $) |
UAE | 13.28 |
Saudi Arabia | 11.23 |
Kuwai | 04.58 |
Qatar | 04.14 |
तेल उत्पादक देशों की एक और बड़ी चिन्ता रिफाइनिंग के मुनाफे में आई भारी गिरावट को लेकर है। तेल रिफाइनिंग की मार्जिन इस साल मार्च तक $3-$5 के बीच थी, अब ये गिर कर $1.93 पर आ गई है। मतलब ये कि कोरोना के बाद वाली दुनिया में रिफाइनिंग मार्जिन में 50% की गिरावट आ गई है।
Energy Prices | |||
INDEX | PRICE | % | TIME(GMT) |
WTI Crude | $42.40 | +0.14 | 5:52 AM |
Brent Crude | $44.43 | +0.18 | 5:50 AM |
Natural Gas | $2.41 | -1.39 | 5:51 AM |
तेल की मौजूदा कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाजार में 40$के करीब है। मध्यपूर्व की इकोनॉमी को संभलने के लिए ये कीमत 70$ कम से कम होनी चाहिए।
रोजगार और विदेशी मुद्रा को लेकर मध्यपूर्व के मुस्लिम देशों की भारतीय अर्थव्यवस्था में बेहद अहम भूमिका है।