विस्ट्रॉन हंगामा: किसकी ग़लती, कितना नुकसान?
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एपल (Apple) के असेंबली पार्टनर विस्ट्रॉन (Wistron) कॉरपोरेशन को करीब 52 करोड़ रुपये (7.12 मिलियन डॉलर) का नुकसान हुआ है। इससे पहले कंपनी ने FIR में करीब 440 करोड़ के नुकसान की बात कही थी। लेकिन न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की खबर के मुताबिक कंपनी को सिर्फ 52 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
आपको बता दें कि शनिवार को कर्नाटक में कोलार जिले के नरसापुर औद्योगिक क्षेत्र में मौजूद इस कंपनी के कर्मचारियों ने सैलरी को लेकर हुए विवाद में आगजनी, लूटपाट और तोड़फोड़ की थी। ताइवान की कंपनी विस्ट्रॉन… ऐपल के लिए मोबाइल फोन (iphone) बनाती है।

कितना हुआ नुकसान?
कर्नाटक के वेमागल पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई गई शिकायत में कंपनी (Wistron) के अधिकारी टी डी पारसनाथ ने कहा था इस घटना में 412.5 करोड़ रुपये मूल्य के ऑफिस इक्विपमेंट, मोबाइल फोन, प्रॉडक्शन मशीनरी और दूसरे उपकरणों का नुकसान हुआ है। साथ ही 10 करोड़ रुपये के इंफ्रास्ट्रक्चर का नुकसान हुआ है जबकि 60 लाख रुपये की कारें और गोल्फ कार्ट के अलावा 1.5 करोड़ रुपये के स्मार्टफोन और दूसरे गैजेट चोरी या बर्बाद हुए हैं।
इस तरह कंपनी (Wistron) ने दावा किया था कि उसे करीब 440 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है। लेकिन न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक कंपनी को सिर्फ 52 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। मंगलवार को ताइवान के स्टॉक एक्सचेंज को दी गयी जानकारी में कंपनी ने बताया कि उसके प्रमुख उत्पादन कारखाने और वेयरहाउस को नुकसान नहीं पहुंचा है, और प्लांट का कामकाज फिर से शुरू करने की कोशिश की जा रही है। उधर ताइवान के स्टॉक एक्सचेंज में मंगलवार को शुरुआती कारोबार में विस्ट्रॉन के शेयर करीब 2.5 फीसदी टूट गये।

कर्मचारियों ने क्यों किया हंगामा?
घटना के बारे में कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें कई महीने से वेतन नहीं मिला है। कंपनी (Wistron) बार-बार वेतन देने का आश्वासन देती रही, लेकिन उन्हें पैसे नहीं दिए गए। ऐसे में कर्मचारियों का गुस्सा भड़क गया और उन्होंने तोड़फोड़ कर डाली। कर्मचारी कामकाज के घंटे बेहतर करने की मांग भी कर रहे थे।
कुछ खबरों के मुताबिक कर्मचारी इसलिए भी गुस्से में थे कि उन्हें नियुक्ति के वक्त जिस सैलरी का वादा किया गया था,उससे कम भुगतान किया जा रहा था। एक कर्मचारी ने आरोप लगाया कि इंजीनियरिंग ग्रेजुएट को 21 हजार महीने का वादा किया गया था, लेकिन उसे घटाकर 16 हजार रुपये कर दिया गया। हाल के कुछ महीनों से तो उन्हें केवल 12 हजार दिये जा रहे थे। नॉन-इंजीनियरिंग कर्मचारियों को सिर्फ 8 हजार मिल रहे थे। कुछ ऐसी भी खबरें हैं, जिनके मुताबिक कर्मचारियों के अकाउंट में बतौर सैलरी 500 रुपये तक दिये गये हैं। शायद कर्मचारियों के गुस्से की ये बड़ी वजह रही हो।

क्यूं हुई वेतन में देरी?
कर्नाटक लेबर डिपार्टमेंट की शुरुआती जांच में ये बात सामने आई है कि विस्ट्रॉन (Wistron) ने वेतन देने में 4 दिनों की देरी की थी। लेकिन कर्मचारियों के भड़कने के पीछे ये वजह नहीं हो सकती, क्योंकि घटना से एक दिन पहले ही कर्मचारियों को पेंमेंट मिल गई थी। जांच में ये बात भी सामने आई है कि कंपनी कर्मचारियों को ओवरटाइम का भत्ता नहीं दे रही थी। इसके अलावा कुछ महीनों ने उनके दो दिनों का वेतन काटा जा रहा था। इस बात को लेकर कर्मचारियों में ज्यादा रोष था।
कंपनी भी मानती है कि वेतन मिलने में देरी हुई थी, लेकिन ये देरी केवल 3-4 दिनों की थी। कंपनी के अधिकारियों के मुताबिक इसकी वजह सॉफ्टवेयर में आई तकनीकी दिक्कत थी। इससे पहले बॉयोमेट्रिक तकनीक से हाजिरी दर्ज की जाती थी और उनकी उपस्थिति के आधार पर कर्मचारियों का वेतन दिया जाता था। लेकिन, अक्टूबर के बाद कंपनी ने एक नये सॉफ्टवेयर से एटेंडेंस दर्ज करना शुरु किया, जिससे गड़बड़ियां और देरी की शिकायतें आने लगी।
विस्ट्रॉन (Wistron) कंपनी ने थर्ड पार्टियों के माध्यम से 9800 कर्मचारियों को रखा है, इनमें से 8490 कॉन्ट्रैक्ट पर हैं, और 1343 कर्मचारी नियमित हैं। इनकी सैलरी इन्हीं थर्ड पार्टीज के जरिए दी जाती है। लेबर डिपार्टमेंट इस बात की भी जांच कर रही है कि कहीं ये कंपनियां तो कर्मचारियों का शोषण नहीं कर रहीं?

एपल भी करेगा जांच
उधर, एपल कंपनी ने भी नरसापुरा फैक्ट्री में हुई हिंसक वारदात की जांच शुरु कर दी है। आपको बता दें कि एपल कंपनी ने अपने सप्लायर्स के लिए सख्त नियम-कायदे बना रखे हैं। इसके मुताबिक सप्लायर कंपनी को कर्मचारियों के वेतन एवं भत्ते से संबंधित सभी कानूनी जरुरतों का पालन करना होगा, जिसमें उचित वेतन और समय पर भुगतान शामिल है। इसके अलावा अनुशासन के नाम पर वेतन की कटौती नहीं की जा सकती। नवंबर में एपल ने इन नियमों के उल्लंघन की वजह से अपने एक सप्लायर पेगाट्रॉन कॉर्प के साथ व्यापारिक संबंध तोड़ लिये थे।
क्या कह रही है सरकार?
मामले की गंभीरता को देखते हुए कर्नाटक सरकार ने घटना की कड़ी निंदा करते हुए कर्मचारियों को सुरक्षा देने और हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बात कही है। कई अन्य राजनीतिक दलों ने भी मामले की विस्तृत जांच कराने की मांग की है। पुलिस इस मामले को लेकर गहन छानबीन कर रही है।
मामले में करीब 7 हजार लोगों के शामिल होने की बात सामने आ रही है, जिनमें 5 हजार कॉन्ट्रेक्ट वर्कर हैं। पुलिस ने अब तक 149 लोगों को गिरफ्तार किया है और इन सभी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। पूछताछ के लिए कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया गया है।

Wistron violence: क्यूं गंभीर है मुद्दा?
विस्ट्रॉन (Wistron) उन 16 कंपनियों में शामिल है, जिसे सरकार के उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन प्लान (production-linked incentive plan) के तहत मंजूरी मिली थी। ताइवान की इस कंपनी ने 2,900 करोड़ के निवेश के साथ भारत में एपल के iphone SE की एसेंबली का काम शुरु किया है और करीब 10 हजार लोगों को रोजगार दिया है।
आने वाले दिनों में कई और कंपनियां अपने प्रोडक्शन यूनिट को चीन से हटाकर भारत, विएतनाम और मेक्सिको जैसे देशों में शिफ्ट करने का मन बना रही हैं। ऐसे में इस तरह की घटनाएं देश एवं राज्य सरकार की छवि खराब कर सकती है और विदेशी निवेश पर भी नकारात्मक असर डाल सकती हैं।