देखिए, हम कितनी दूर आ गए हैं!
प्रियंका चोपड़ा ने अपने एक पोस्ट के आखिर में यही लिखा था, “देखिए, हम कितनी दूर आ गये हैं”। कमला हैरिस को बधाई दे रहा ये पोस्ट सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है। भारतीय मूल की कमला हैरिस को डेमोक्रेट्स ने उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है। आपको बता दें कि अगर कमला हैरिस उपराष्ट्रपति बन जाती हैं, तो वह इस पद पर काबिज होने वालीं अमेरिका की पहली महिला होंगी। जरा सोचिये, हम कहां से कहां आ गये हैं!!!
प्रियंका चोपड़ा ने अमेरिकी चुनाव में उपराष्ट्रपति के उम्मीदवार के तौर पर कमला हैरिस के चुने जाने पर खुशी जाहिर की है।उन्होंने अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट पर कमला हैरिस की तस्वीर साझा करते हुए लिखा, ‘यह सभी महिलाओं के लिए एक ऐतिहासिक, परिवर्तनकारी और गर्व का पल है। सभी रंग की महिलाएं, सभी अश्वेत महिलाएं और सभी दक्षिण एशियाई महिलाएं। कमला हैरिस को ढेर सारी बधाई जो कि पहली अश्वेत और पहली भारतीय मूल की महिला हैं जो अमेरिकी पार्टी का मुकाबला करेंगी।’
कैसे बनीं उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार?
अमेरिका में कोरोना संकट के बीच अगले राष्ट्रपति के चुनाव की भी तैयारी चल रही है। अमेरिका में दो पार्टियों का सिस्टम है – रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स। दोनों पार्टिया अपनी-अपनी तरफ से किसी एक व्यक्ति को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाती है, और घनघोर चुनाव प्रचार के बाद, जनता वोट देकर इनमें से किसी एक को चुनती है। तीन नवंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए रिपब्लिकन की ओर से डोनाल्ड ट्रंप दुबारा मैदान में है, जबकि जो बिडेन डेमोक्रेट्स की ओर से उम्मीदवार हैं। पार्टियों की ओर से चुने गये राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को ये छूट होती है कि वो अपनी मर्जी से अपना बेस्ट मैन (वूमन) चुने। इसी के तहत जो बिडेन ने उपराष्ट्रपति पद के लिए कमला हैरिस पर भरोसा जताया।
कौन हैं कमला हैरिस?
- 55 साल की कमला हैरिस उपराष्ट्रपति पद की टिकट पाने वालीं पहली एशियाई-अमेरिकी और भारतीय मूल की महिला हैं।
- इससे पहले वो पहली भारतीय मूल की महिला थी, जो सीनेटर चुनी गईं। वह अमेरिका के कैलिफोर्निया की सीनेटर हैं।
- कमला हैरिस के पिता अफ्रीकी और मां भारतीय हैं। इनकी मां श्यामला गोपालन, चेन्नई की रहने वाली थीं और वह एक कैंसर शोधकर्ता थीं, जिनका 2009 में निधन हो गया।
- कमला के पिता डोनाल्ड हैरिस जमैका के रहने वाले हैं, जो फिलहाल स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ाते हैं। जब हैरिस और उनकी छोटी बहन माया हैरिस बहुत छोटी थीं, तभी उनके माता-पिता अलग हो गए थे।
- कमला हैरिस ऑकलैंड में पली-बढ़ी हैं। उन्होंने हावर्ड यूनिवर्सिटी से स्नातक की डिग्री ली और इसके बाद कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की।
- हैरिस सैन फ्रांसिस्को में जिला अटॉर्नी के रूप में भी काम कर चुकी हैं। वह 2003 में सैन फ्रांसिस्को की जिला वकील बनी थीं।
- हैरिस ने साल 2017 में कैलिफोर्निया से संयुक्त राज्य सीनेटर के रूप में शपथ ली थीं। वो ऐसा करने वाली दूसरी अश्वेत महिला थीं।
- उन्होंने होमलैंड सिक्योरिटी एंड गवर्नमेंट अफेयर्स कमेटी, इंटेलिजेंस पर सेलेक्ट कमेटी, ज्यूडिशियरी कमेटी और बजट कमेटी में भी काम किया है।
- पिछले साल तक कमला हैरिस राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की रेस में थीं, मगर समर्थन नहीं मिल पाने की वजह से इस रेस से बाहर हो गईं।
जो बिडेन ने इन्हें ही क्यों चुना?
- जो बिडेन ने अपने चुनाव प्रचार से जुड़े एक मेल में कहा, “मुझे किसी ऐसे शख़्स का साथ चाहिए जो स्मार्ट हो, कड़ी मेहनत करे और नेतृत्व के लिए तैयार रहे, कमला वो शख़्सियत हैं।” जाहिर है कमला में वो सारी खूबियां हैं, जो कि बिडेन को अपने सहयोगी से चाहिए।
- अमेरिका में इन दिनों ‘ब्लैक लाइफ मैटर्स’ आंदोलन चल रहा है। कमला के पिता के अफ्रीकी होने की वजह से पार्टी को अश्वेतों का समर्थन मिल सकता है। अमेरिका में अफ्रीकी मूल के करीब 13 फ़ीसदी वोट हैं और कई राज्यों में उनके वोट काफी अहम हैं।
- एशियाई मूल के लोगों और अप्रवासियों के बीच ट्रंप सरकार की कड़ी नीतियों को लेकर नाराजगी है। कमला हैरिस की वजह से अब भारतीय मूल के करीब 15 लाख वोटर्स का झुकाव डेमोक्रेट्स की ओर हो सकता है।
- अमेरिका के चुनावी गणित के हिसाब से भी श्वेत राष्ट्रपति और अश्वेत उपराष्ट्रपति का फॉर्मूला सटीक बैठता है।
- कमला हैरिस के मैदान में आने से नस्लीय भेदभाव और प्रवासियों के मुद्दे पर प्रगतिशील विचार रखनेवाले बुद्धिजीवियों का भी समर्थन मिलने की उम्मीद है।
- कमला हैरिस और जो बिडेन के बीच पार्टी से इतर निजी पारिवारिक रिश्ते भी हैं। जो बिडेन का बेटा बो और कमला एक साथ अटॉर्नी जनरल थे। बो के जरिए ही दोनों की मुलाकात हुई और उसके विचारों ने भी जो बिडेन को कमला के पक्ष में फैसला लेने को प्रेरित किया।
अमेरिकी चुनावों में अफ्रीकी समुदाय के वोट काफी मायने रखते हैं। जो बिडेन की अपनी उम्मीदवारी भी तब मजबूत हुई, जब साउथ कैरोलिना में अफ्रीकी समुदाय के वोटों की वजह से उन्हें बड़ी जीत मिली। इसके बाद बिडेन को सभी राज्यों में अफ्रीकी-अमरीकी समुदाय का समर्थन मिलता गया और डेमोक्रेटिक पार्टी के दूसरे मजबूत दावेदार बर्नी सैंडर्स को आखिरकार अपना नाम वापस लेना पड़ा।
इसमें एक बात और है, अगर कमला हैरिस और बिडेन की जोड़ी इस बार जीत दर्ज कर लेती है, तो 70 साल के जो बिडेन के लिए अगला राष्ट्रपति चुनाव लड़ना मुश्किल होगा। वहीं कमला हैरिस के लिए साल 2024 के राष्ट्रपति चुनावों में दावेदारी का रास्ता साफ हो जाएगा। यानी 2024 में अमेरिका का राष्ट्रपति भारतीय मूल का होगा??? देखिये, हम कहां से कहां आ गये हैं!!!