दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन तैयार!
कोरोना वायरस के कहर से परेशान दुनिया के लिए एक अच्छी खबर है। रूस की समाचार एजेंसी के मुताबिक रूस से दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन तैयार कर ली है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने खुद इसकी घोषणा करते हुए बताया कि उनके स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वैक्सीन को अपनी मंजूरी दे दी है और इस सुबह दुनिया में पहली बार, नये कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन रजिस्टर्ड हुई।
रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि कोरोना वैक्सीन टेस्ट के दौरान सफल साबित हुई है। उनकी एक बेटी ने भी वैक्सीन की डोज ली है और वह अच्छा महसूस कर रही है। उन्होंन इस वैक्सीन तैयार करने में शामिल सभी वैज्ञानिकों और लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया।
कहां तैयार हुआ वैक्सीन?
आपको बता दें कि ये वैक्सीन मॉस्को के गामलेया रिसर्च इंस्टिट्यूट ने तैयार किया है। वैक्सीन बनाने वाले वैज्ञानिकों के मुताबिक वैक्सीन में जो पार्टिकल्स यूज हुए हैं, वे खुद को कॉपी नहीं कर सकते। इसके बनने के बाद रिसर्च और मैनुफैक्चरिंग में शामिल कई अन्य लोगों ने भी इसकी डोज ली। वैज्ञानिकों के मुताबिक वैक्सीन की डोज दिए जााने के बाद कुछ लोगों को बुखार हो सकता है, लेकिन उसके लिए पैरासिटामॉल लेना ही काफी होगा।
वैसे, कुछ देशों (अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा) ने रूस पर कोरोना वायरस के टीके की जानकारी चुराने का भी आरोप लगाया था, हालांकि रूस ने इससे साफ इनकार किया था।
और कहां तैयार हो रही है वैक्सीन?
- WHO के मुताबिक दुनिया भर में इस वक्त कोरोना की वैक्सीन तैयार करने के लिए 100 से ज़्यादा प्रयास चल रहे हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ चार जगहों पर वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल अंतिम चरण में है।
- चीन की एक वैक्सीन भी जल्द तैयार होनेवाली है। यहां की सिनोवैक बायोटेक लिमिटेड द्वारा तैयार किये जा रहे वैक्सीन का अंतिम ह्यूमन ट्रायल चल रहा है।
- यह वैक्सीन इंडोनेशिया की सरकारी कंपनी बायो फ़ार्मा के साथ मिलकर बनाई जा रही है। कोरोनावैक नाम की यह वैक्सीन उन चंद असरदार वैक्सीन में से एक है जो परीक्षण के इस चरण तक पहुंची हैं।
- वहीं, सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया को भी उम्मीद है कि वह इस साल अक्टूर-नवंबर तक कोविड-19 का टीका (वैक्सीन) बना लेगी।
- सीरम इंस्टिट्यूट ने बायोफार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका के साथ कोविड-19 वैक्सीन ‘कैंडिडेट’ के विनिर्माण के लिए भागीदारी की है, जिसे ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने डेवलप किया है।
दरअसल, कोरोना के बढ़ते संकट और आर्थिक-राजनीतिक दबाव के कारण कई सरकारें कोरोना वैक्सीन को जल्द से जल्द तैयार कर लेने की कोशिश कर रही हैं। इसी प्रयास में रुस और चीन सबसे आगे निकलते दिख रहे हैं। लेकिन, जल्दबाजी और वैक्सीन की होड़ में गलती की गुंजाइश भी बढ़ गई है।
हमने पहले भी देखा है कि कोरोना के मामले में विशेषज्ञों के शुरुआती निष्कर्ष गलत साबित हुए और अभी भी कोरोना वायरस के बारे में नई-नई जानकारियां आ ही रही हैं। यही वजह है कि WHO समेत तमाम संगठन इस बात पर ज़ोर दे रहे हैं कि वैक्सीन तैयार करने में सुरक्षा मानकों में किसी तरह का समझौता नहीं किया जाए। लेकिन उसकी सुनता कौन है?