क्या सरकार को पता है, SUV के अलावा किस काम में डीजल का इस्तेमाल होता है?
मानसून आ गया है, चावल के इस देश में…ये.. धान की रोपनी का वक्त है, पम्पिंग सेट की सर्विसिंग का वक्त है… और डीजल है कि… हर रोज महंगा हो रहा है। आप ये पहले लॉकडाउन में भी देख चुके हैं, किसी फैसले की टाइमिंग को लेकर हमारी सरकार का अपना ही टशन है। इसका जनता पर भी असर होता है, इस तरह का कोई टेंशन सरकार पालती ही नहीं।
अब संदेह की कोई गुंजाइश नहीं है…pm cares
अगर नीतीश कुमार पेट्रोलियम मिनिस्टर धर्मेंद्र प्रधान से कह पाते तो वो जरूर कहते..प्रधान जी आपने सिर्फ पेट्रोल, डीजल का प्राइस डिसाइड नहीं किया, एसेंबली इलेक्शन में जेडीयू-बीजेपी के सुसाइड का इंतजाम भी कर दिया है।
16 अक्टूबर 2018 को दिल्ली में डीजल की कीमत 75.69 थी। तब ये नया रिकार्ड था। अब सरकार सचिन हो गई है…तीन हफ्ते से हर रोज अपना ही रिकार्ड तोड़ रही है।
16 मार्च 2012 को सचिन ने सेंचुरी का सैकड़ा बनाया था। अगर यही रफ्तार रही तो डीजल मार्च से पहले ही सेंचुरी लगा लेगा।
डिरेगुलेशन वाली प्यारी सी कहानी
18 अक्टूबर 2014 को शनिवार के दिन केंद्र सरकार ने डीजल 3.37 रुपये सस्ता करते हुए इसे डिरेगुलेट करने का ऐलान किया था…। तब इसे पेट्रोलियम में निजी क्षेत्र की भागीदारी के कदम के तौर पर एनडीए सरकार के सबसे बड़े आर्थिक सुधार के तौर पर देखा गया था। कहा गया कि डीजल डिरेगुलेट होगा मतलब ये कि इसकी कीमत सरकार तय नहीं करेगी, अब इसे सीधे अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत से लिंक किया जाएगा। यानी ब्रेंट क्रूड की बेंचमार्क प्राइस कम होगी तो हमारे यहां भी तेल सस्ता होगा। जून 2017 में सरकार dynamic fuel pricing लेकर आई। अब पेट्रोल और डीजल की कीमत पिछले दिन international crude price और डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की कीमत के हिसाब से हर रोज रिवाइज किया जाना शुरू हुआ। कहा गया कि हम अब अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों वाली व्यवस्था में आ गए हैं, जहां तेल की कीमत में सबसे छोटे बदलाव का फायदा डीलर और कंज्यूमर को हर रोज मिलता है।
अगर डिरेगुलेशन का मतलब कंज्यूमर को फायदा पहुंचाने से था तो ये तब नजर नहीं आया जब इस साल अप्रैल में तेल $21/बैरल पहुंच गया था। अगर मकसद निजी क्षेत्र को निवेश के लिए लुभाने का था तो दुनिया की सबसे हाई टैक्स रेजीम से ये होने वाला नहीं है। GST का वक्त पर राज्यों को भुगतान नहीं करके, केंद्र सरकार ने एक तरह से तय कर दिया है कि पेट्रोलियम पर राज्य निकट भविष्य में GST के लिए तैयार नहीं होंगे।
ड्यूटी बढ़ाने की ड्यूटी
पेट्रोलियम पर एक्साइज ड्यूटी को सरकार नेशनल ड्यूटी की तरह लेती है। dynamic fuel pricing लागू करने के बाद से अब तक हुआ ये है कि सरकार ने डीजल और पेट्रोल पर 13 बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई है और सिर्फ दो बार अक्टूबर 2014 में ड्यूटी कम की है।
साल | एक्साइज ड्यूटी पेट्रोल | एक्साइज ड्यूटी डीजल |
2014 | 09.48 रु | 03.56रु |
2020 | 32रु | 31.83रु |
बात सिर्फ इस साल की करें तो 14 मार्च को सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में 3 रुपये का इजाफा किया था। इसके बाद 5मई को पेट्रोल पर 10रुपया और डीजल पर 13रुपये का इजाफा किया। इन दो इजाफे से केंद्र सरकार को दो लाख करोड़ की अतिरिक्त आय हुई। अब पेट्रोल पर 270% और डीजल पर 256% एक्साइज ड्यूटी के साथ हमारे यहां दुनिया में सबसे ज्यादा टैक्स है। हारली डेविडसन को लेकर कभी डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को टैरिफ किंग का खिताब दिया था…अब लगता है हमारी सरकार इस खिताब को बचाने को लेकर कुछ ज्यादा ही सीरियस है।
देश | पेट्रोलियम पर कुल टैक्स |
भारत | 69.3% |
जर्मनी और फ्रांस | 63% |
स्पेन | 53% |
जापान | 47% |
कनाडा | 33% |
अमेरिका | 19% |
लॉकडाउन में अनलॉक हुआ डीजल
तारीख | दिल्ली में डीजल की कीमत |
26 मार्च 2020 | 62.29 |
26 जून 2020 | 80.19 |
तीन महीने में डीजल 18 रुपया महंगा हो गया और इतिहास में पहली बार पेट्रोल से महंगा हो गया।
पेट्रोल से महंगे डीजल के मायने समझिए
जून 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के आने के वक्त पेट्रोल की कीमत दिल्ली में 71.51 और डीजल की 57.28 थी।
साल | पेट्रोल | डीजल |
1अप्रैल1989 | 08.50 | 3.50 |
25जनवरी2000 | 25.94 | 14.04 |
21जून 2005 | 40.49 | 28.45 |
27फरवरी 2010 | 47.43 | 35.47 |
जुलाई 2016 | 62.51 | 54.28 |
2. https://www.mycarhelpline.com/index.php?option=com_easyblog&view=entry&id=808&Itemid=91
इंडियन ऑयल के ताजा आंकड़े बताते हैं कि पेट्रोल की बेस प्राइस 22.11 रुपये है, जबकि डीजल की 22.93 रुपये प्रति लीटर है। यानी डीजल पेट्रोल से महंगा होता है, लेकिन हमारे यहां बाजार में इसकी कीमत हमेशा पेट्रोल से बीस से तीस फीसदी कम रहती आई है। इसकी वजह ये है कि किसानों के इस देश में डीजल का सिंचाई में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है। इसके अलावा हमारे ट्रांसपोर्ट का 62 से 65% ट्रक के जरिए होता है। डीजल महंगा होगा तो ट्रक से ढुलाई महंगी होगी…नतीजा महंगाई की मार । WPI –whole sale price index में डीजल की कीमत में इजाफे का फौरन दो से तीन फीसदी तक असर दर्ज होता है। इसलिए केंद्र सरकार जहां डीजल पर कम एक्साइज ड्यूटी वसूलती आई है तो राज्य भी डीजल पर कम वैट लगाते आए हैं।
डीजल का महंगा होना,धान और गन्ना के किसानों के लिए खास तौर पर बुरी खबर है। अनुमान है कि सरकार के इस कदम से खरीफ की खेती करने वाले किसान की लागत सिंचाई और खाद को मिला दें तो तीस फीसदी तक बढ़ गई है। प्रति एकड़ के हिसाब से देखें तो 12सौ से 1600रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ा है। अगर सरकार का सचमुच इरादा रूरल इकोनॉमी में डिमांड बढ़ाने का है, तो इससे उसे मदद नहीं मिलेगी।
सरकार ने तेल के दाम तो बढ़ा दिए, लेकिन अब कहीं ज्यादा मुश्किल चुनौती होगी महंगाई पर लगाम लगाना।